उदयपुर, 8 अगस्त। केशवनगर स्थित अरिहंत वाटिका में आत्मोदय वर्षावास में हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने गुरूवार को धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सम्पत्ति का योग हो तो व्यक्ति धनवान बनता है, बुद्धि का योग हो तो व्यक्ति बुद्धिमान एवं विद्वान बनता है, पुण्य का योग हो तो भाग्यवान बनता है और भक्ति का योग हो तो भक्त भगवान बनता है। सम्पत्ति, बुद्धि, पुण्य एवं भक्ति के साथ अहंकार जुड़ने पर व्यक्ति इनका दुरूपयोग करता है। विनयी व्यक्ति इन चारों का सदुपयोग करके अपनी सम्पत्ति, बुद्धि, पुण्य एवं भक्ति को अभिवर्धित कर लेता है। भक्ति ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप के प्रति होनी चाहिए। जीवन की दशा एवं दिशा बदलनी हो तो ज्ञान की ज्योति जगाएं। ज्ञान की ज्योति जगाने पर ही जीवन का बेड़ा पार हो सकता है। एक अपेक्षा से ज्ञान इह भव, परभव एवं भव-भव में साथ रहता है जैसे कि जाति स्मरण ज्ञान। ज्ञान ही पंचम आरे का चिंतामणि रत्न, कल्पवृक्ष एवं कामधेनु है। उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने कहा कि जो जीने के लिए खाते हैं वे साधक हैं और जो खाने के लिए जीते हैं वे सब भोगी हैं। तीन इंच की जबान को संतुष्ट करने की बजाय शरीर को स्वस्थ रखे, ऐसा भोजन ग्रहण करने को प्राथमिकता दें क्योंकि यह देह ही देवालय है। इस देवालय रूपी देह को जंक फूड एवं फास्ट फूड खाकर डस्टबिन बनाने से बचें। यदि खानदान को सुधारना है तो अपना खानपान सुधारें। श्रीसंघ अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने बताया कि शुक्रवार से प्रारम्भ हो रहे तीन दिवसीय महिला शिविर हेतु 365 रजिस्ट्रेशन अब तक हो चुके हैं। शिविर में रतलाम, सिंगोली, मंदसौर, भीलवाड़ा, चित्तौड़, आवरी माता, भदेसर, चिकारड़ा, बड़ीसादड़ी एवं कानोड़ से महिला शिविरार्थी भाग ले रहे हैं।
जीवन की दशा एवं दिशा बदलनी हो तो ज्ञान की ज्योति जगाएं : आचार्य विजयराज
