उदयपुर, 6 अगस्त। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पंन्यास प्रवर निरागरत्न जी म.सा. ने मंगलवार को धर्मसभा में कहा कि जीवन में द्रव्य विनय नहीं होगा तो आंतरिक स्वर का विनय कभी नहीं आ पाएगा, अगर आपके जीवन में बाह्य विनय है तो किसी भी प्रकार के इंटरव्यू में आप फेल नहीं हों सकते। विनय किसका करना चाहिए? जो हमसे बड़े हो, हमारे उपकारी हो, जैसे भगवान, गुरू, माता-पिता, वरिष्ठजन आदि। बाह्य विनय अनेक प्रकार के होते हैं जैसे कि गुरू, माता, पिता आदि के समान आसन लेवल में न बैठना, उनके आगे नहीं बैठना, आसन पर बैठ कर जवाब नहीं देना आदि। आजकल विनय नाम की चीज संस्कृति से गुमराह हो रही है। स्कूल में टीचर खड़े-खड़े पढ़ाते हैं और स्टूडेंट बैठे-बैठे पढ़ते हैं। ज्यादा बोलने की आदत और छोटी-छोटी बात में डिस्टर्ब होना वो भी अविनय का प्रकार है। चातुर्मास प्रवक्ता राजेश जवेरिया ने बताया कि पंन्यास प्रवर ने आज विनय अध्ययन पर सारगर्भित पर प्रवचन दिया। कल से परिषह पर प्रवचन होगा।
जीवन में द्रव्य विनय नहीं होगा तो आंतरिक स्वर का विनय कभी नहीं आ पाएगा : निरागरत्न
