उदयपुर। अरिहंत भवन न्यू भोपालपुरा में आयोजित धर्मसभा में बोलते हुए आचार्य ज्ञानचंद महाराज ने कहा कि एक चिंगारी भी सुखे घास को भयंकर आग का रूप दे सकती है। एक बूंद तेल भी एक बाल्टी पानी में फेल कर पानी को तेल मय बना सकती है। इस तरह आपके अच्छे या बुरे छोटे छोटे कार्य भी आपकी व्यक्तित्व की पहचान बन जाते हैं।
जैन धर्म की स्थिति पर दुःख जताते हुए आचार्य जी ने कहा महावीर के झंडे को लेकर चलने वालों का झंडा कभी का उड़ गया केवल डंडा ही रह गया। हम उसी डंडों की पकड़ में जकड़ रहे है। जैन धर्म, परस्पर भाई चारे, समन्वय का संदेश देता है, उसी धर्म के नाम पर कलह, विवाद बढ़ रहे हैं।
गुरुओं को व्यक्तिगत, दुराग्रह से हटकर परस्पर आदर एवं सांप्रदायिक सहिष्णुता जगाने जरुरत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शिष्ट मंडल आचार्य जी की सेवा में पहुंचा।
आज मध्यान्ह में आर एस. एस. का एक शिष्टमंडल गुरु चरणों में पहुंचा, धर्म चर्चा का लाभ लिया। आचार्य जी की विद्वता और देश की स्थिति पर व्यापक चिंतन मनन हुआ।
गुरुओं को व्यक्तिगत दुराग्रह से हटकर सांप्रदायिक सहिष्णुता बनाने की जरूरत’
