नाथद्वारा विधायक श्री विश्वराज सिंह मेवाड़ ने विभिन्न कार्यक्रमों में लिया हिस्सा
जनसुनवाई में आमजन की सुनी समस्याएं, गवरी देखने के साथ किए माताजी के दर्शन
संत श्री संतोषनाथ जी से लिया आशीर्वाद
नाथद्वारा, 26 सितंबर। नाथद्वारा विधायक श्री विश्वराज सिंह मेवाड़ ने गुरुवार को क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और जनता से संवाद किया। कुम्हारिया खेड़ा, ग्राम पंचायत नमाना में विधायक श्री विश्वराज सिंह मेवाड़ ने सुबह 11 बजे कुम्हारिया खेड़ा में आयोजित गवरी कार्यक्रम में भाग लिया, जहाँ उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात की।
वे गुडला, ग्राम पंचायत धायला भी पहुंचे जहां उन्होंने गवरी में हिस्सा लिया और गुडला गांव का दौरा किया और वहां के स्थानीय निवासियों से चर्चा की। भैसाकमेड ग्राम पंचायत के उसरवास एवं बामनिया वेर में भी उन्होंने गवरी कार्यक्रम में भाग लिया और वहां के लोक कलाकारों से संवाद किया। ऐसे ही कोसीवाडा ग्राम पंचायत में करीब दोपहर 2 बजे गवरी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और पारंपरिक लोक कला से रूबरू हुए। विधायक ने लोगों से कहा कि माननीय प्रधानमंत्री और माननीय मुख्यमंत्री की नीतियों और योजनाओं को जन जन तक पहुंचाएं।
गवरी के कार्यक्रमों में विधायक श्री मेवाड़ ने कहा कि गवरी न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और लोक परंपराओं को जीवंत रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। आयता की धूनी में दोपहर 4 बजे विधायक श्री विश्वराज सिंह मेवाड़ ने संत संतोष नाथ जी के आश्रम पहुंच कर उनसे आशीर्वाद लिया। मचींद ग्राम पंचायत में जनसुनवाई आयोजित की गई, जिसमें श्री मेवाड़ ने क्षेत्र के विकास और जनहित से जुड़ी समस्याओं को सुना और उनके समाधान हेतु अधिकारियों को फोन पर निर्देश दिए। ऐसे ही फतहपुर ग्राम पंचायत में जनसुनवाई के दौरान स्थानीय निवासियों से संवाद किया और उनकी समस्याओं का निस्तारण किया। विधायक श्री विश्वराज सिंह मेवाड़ के ये दौरे क्षेत्र के विकास और जनकल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। उनके द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान हेतु किए गए प्रयासों की सराहना की गई।
उल्लेखनीय है कि गवरी राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र की एक पारंपरिक लोक-नाट्य शैली है, जिसे विशेष रूप से भील समुदाय द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की कथाओं पर आधारित धार्मिक और सांस्कृतिक नृत्य-नाटिका होती है। गवरी का आयोजन वर्षा ऋतु के बाद, श्रावण या भाद्रपद महीने में होता है और यह एक लंबा अनुष्ठान होता है, जो करीब 40 दिनों तक चलता है। गवरी के नाट्य रूप में हास्य, वीरता, और आस्था का समन्वय देखने को मिलता है।
