प्राथमिक शिक्षकों की प्रथम कार्यशाला संपन्न

एफएलएन कॉर्नर विकसित करें – मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करें’
उदयपुर, 22 जुलाई।  बडगांव ब्लॉक के कैलाशपुरी क्लस्टर पर आज 22 जुलाई 2025 को प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ने वाले हिंदी और पर्यावरण विषय के शिक्षकों की एक दिवसीय कार्यशाला राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कैलाशपुरी के सभा हॉल में संपन्न हुई।
यह जानकारी देते हुए पी.ई.ई.ओ. एवं क्लस्टर प्रभारी अनिल कुमार दशोरा ने बताया कि क्लस्टर कैलाशपुरी के अधीन लगभग 30 शिक्षक-शिक्षिकाओ ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला के माध्यम से निश्चित तौर पर क्लस्टर शिक्षकों को शिक्षण में एक नई गति मिलेगी और प्राथमिक शिक्षको को सम्बलन प्राप्त होगा।
इस अवसर पर राज्य स्तरीय संदर्भ व्यक्ति एवं पुरस्कृत शिक्षक ओमप्रकाश खटीक ने प्रशिक्षण में बताया कि प्राथमिक कक्षाओ में पढ़ने वाले बालक और बालिकाएं शिक्षा की नींव है, जैसा बच्चों को पढ़ाया जाएगा, वैसा ही इनके जीवन में शिक्षा का बीजारोपण होगा जिस प्रकार एक नन्हे पौधे को पानी, खाद, देखभाल, आदि देकर उसका ख्याल रखते हुए सींचा जाता है। ठीक उसी प्रकार से प्राथमिक कक्षा में पढ़ने वाले नन्हे मुन्ने बालक बालिकाएं कोमल, सहृदय होकर शिक्षा की नींव होते हैं। इन्हें खेल-खेल में शिक्षा, नैतिक शिक्षा का प्रयोग करते हुए विभिन्न विषयगत नवाचारी प्रयोग करते हुए, मातृत्व प्रेम द्वारा बाल कविताओं, कहानियों के माध्यम से बच्चों की सहभागिता को शत प्रतिशत सुनिश्चित करते हुए इन बच्चों में संस्कारों का शिक्षा रूपी बीजारोपण किया जा सकता है। यह बालक बड़े होकर एक आदर्श नागरिक बनकर देश के निर्माण में अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे।
कार्यशाला में शिक्षकों को इस बात पर विशेष ध्यान दिलाया गया कि आज के समय में बालक से बालक शिक्षा पर महत्व दिया जा रहा है। शिक्षक केवल और केवल एक  फैसेलिटर (सुविधादाता) के रूप में कार्य करता है। प्राथमिक कक्षाओं के शिक्षकों को एफएलएन बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के अंतर्गत प्रत्येक शिक्षक को अपने विद्यालय में एक एफएलएन कॉर्नर विकसित करना चाहिए, ताकि बच्चा कक्षा गतिविधियों, चित्रो के आधार पर अपनी विषयगत बुनियादी कमजोरी को दूर कर सके। एक आकर्षण का केंद्र बन सके। बच्चों को एक माहौल मिल सके। इस दिशा में सभी शिक्षकों को कार्य करने हेतु प्रेरित किया गया, क्योंकि बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान जब तक बच्चों में पूर्ण नहीं होगा तब तक हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। प्राथमिक कक्षाओं में उसे विद्यालय की परिस्थितियों के अनुसार बच्चों को बिठाने की व्यवस्था में भी परिवर्तन किया जा सकता है ताकि बच्चा शिक्षक की निगाहों में सीधे तौर पर बना रहे और प्रत्येक बालक पर शिक्षक का फोकस हो सके।
कार्यशाला में इस बात पर भी विशेष जोर दिया गया कि प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि बच्चे की सहभागिता कक्षा में अधिक से अधिक हो सके। बालक अपने विचारों को व्यक्त कर सके। वह अपनी बात रख सके उसे प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ताकि वह अपनी अभिव्यक्ति द्वारा मौखिक भाषा का विकास अधिक से अधिक हो सके और प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में ही शिक्षा दी जानी चाहिए।
By Udaipurviews

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