उदयपुर. डॉ. तरु सुराणा(आरएएस) की प्रथम पुण्यतिथि 5 अक्टूबर पर हम उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मात्र 42 वर्ष की अल्पायु में विधाता ने उन्हें हमसे अकस्मात छीन लिया। समाजशास्त्र में पीएच.डी. धारक डॉ. तरु उदयपुर क्षेत्र से राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) परीक्षा में महिलाओं में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाली प्रथम और एकमात्र महिला थीं।
उनके 14 वर्षीय संक्षिप्त किंतु प्रेरणादायी कार्यकाल में, डॉ. तरु ने पूर्ण ईमानदारी, नैतिक साहस, और सेवाभाव के उच्च आदर्शों का पालन किया। उदयपुर में उन्होंने महिला एवं बाल विकास उप निदेशक, यू.आई.टी. में भूमि अधिग्रहण अधिकारी, आर.एस.एम.एम.एल. में वरिष्ठ प्रबंधक/कार्यपालक निदेशक, जनजातीय अनुसंधान संस्थान की निदेशक, और डी.आई.जी. पंजीकरण व स्टाम्प जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएँ दीं। प्रत्येक भूमिका में उन्होंने साहस और समर्पण के साथ व्यवस्था को बेहतर बनाने का अथक प्रयास किया।
लोक सेवा में दुर्लभ नैतिक रुख : जब डॉ. तरु का स्थानांतरण उदयपुर के जिला आबकारी अधिकारी पद पर हुआ, उन्होंने अपने नैतिक सिद्धांतों के अनुरूप इस पद को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। उनका मानना था कि शराब एक सामाजिक बुराई है, जो उनके मूल्यों के विपरीत है। उनके इस अभूतपूर्व रुख का सम्मान करते हुए, राज्य सरकार ने उन्हें वैकल्पिक दायित्व सौंपा, जो उनकी ईमानदारी और नैतिकता का प्रमाण है।
शैक्षणिक प्रतिभा और बौद्धिक उपलब्धियाँ सीबीएसई क्षेत्रीय टॉपर: सेंट मैरी कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, उदयपुर। महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन द्वारा महाराणा फतेह सिंह अवार्ड से सम्मानित।
विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक: एम.ए. समाजशास्त्र में उत्कृष्टता और यूजीसी-नेट योग्यता। पीएच.डी. में आईसीएसएसआर फेलोशिप: किशोरियों की सामाजिक गतिशीलता पर उनके शोध ने राष्ट्रीय कौशल विकास नीति 2014 सहित कई राष्ट्रीय नीतियों को प्रभावित किया। जैसा उनके नाम तरु का अर्थ है, वह एक वृक्ष की भांति थीं—ईमानदारी से सिर ऊँचा रखने वाली, विनम्रता से धरती से जुड़ी, और अपनी छांव से सबको सुख-शांति देने वाली।
एक तारा जो समय से पहले बुझा, पर उसकी रोशनी सदा बनी रहेगी।