भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह
बड़गांव के मनकामेश्वर शिव मंदिरमें प्रतिदिन होने वाली श्रीमद्भागवत कथा में आज तीसरे दिन कथा व्यास दैवज्ञ पं0 डॉ रामेश्वर आमेटा ने भीवम स्तुति के अर्थान्तरगत श्री कृष्ण चरणकमलों में बुद्धि सर्मपण द्वारा परब्रह्म में लीन होने के मार्ग पर चर्चा की। इस अवसर पर सनातन संस्कृति के इस गूढ़ और महनीय ग्रंथ का प्रारम्भ परिक्षित द्वारा पूछे गए इस प्रश्न से हुआ की मरणशील प्राणी को क्या करना चाहिए? इस प्रश्न के उतर में भगवान व्यासनन्दन श्री शुकदेव महामुनि ने परिक्षित को भागवतकथामृत का पान करवाया। कथा व्यास ने इस महनीय ग्रंथ के प्रारंभ की विवेचना करते हुए बताया कि परिक्षित ने सात दिन में मृत्यु के श्राप की सूचना पर जो व्यवहार प्रदर्शित किया वह हम सभी के लिए आत्मसात करने योग्य है। मृत्यु से तो बचा नहीं जा सकता है परन्तु मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने वाली इस कथा का पान करना ही श्रेयस्कर है। कथा में बड़गांव नगर एवं अन्य स्थानों से आए सभी भावुक एवं रसिक श्रोताओ ने आनन्द लाभ लिया।