डाॅ. मन्नालाल रावत ने अपनी पुस्तक की प्रथम प्रति प्रधानमंत्री को भेंट की 

जनजाति विकास का ‘अटल नमो पथ’ 
 उदयपुर, 21 अप्रेल। उदयपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी डाॅ. मन्नालाल रावत की लिखित पुस्तक जनजातिय विकास ‘अटल नमो पथ’ की प्रथम प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बांसवाड़ा में आयोजित आम सभा रविवार को में भेंट किया।
 जनजातियों के लिए भारतीय जनता पार्टी व राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन की सरकारों ने क्या किया विषय पर आधारित डॉ मन्ना लाल रावत- डॉ. रजनी पी. रावत की इस पुस्तक का अवलोकन करने के उपरांत माननीय प्रधानमंत्री जी ने डॉ. रावत को कहा, ‘यह आपने बहुत अच्छा किया।’
 पुस्तक को लिखने का विचार डॉ. रावत को दीनदयाल उपाध्याय की अन्त्योदय की अवधारणा से प्राप्त हुआ। पुस्तक में विगत दस वर्ष में बनी आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति के समाज के सबसे निचले स्तर तक पहुंचने की विस्तृत जानकारी है। दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन एकात्म मानववाद के अनुसार मानव अधिकार का उपभोग करने में सक्षम लोगों को तैयार करने के लिए वर्तमान सरकारी योजनाएं और पूर्व की सरकारों विशेष कर अटल जी की सरकार में किए गए प्रयास इस पुस्तक का मुख्य विषय है। यह पुस्तक समाज के अन्तिम छोर पर बैठे सीधे-साधे, पढ़े नहीं गुणे, सामान्य वस्त्र पहने वाले व्यक्ति के विकास की चर्चा करती है।
 लेखक डाॅ. रावत इस पुस्तक का आरम्भ अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में सन् 1999 में गठित जनजाति कार्य मंत्रालय के प्रभाव से करते हैं। वे लिखते है कि इस मंत्रालय का गठन जनजाति विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर बना। इसे जनजातीय विकास की रीति-नीति-प्रीति की नींव कहते हैं। इस प्रकार जनजातियों को पांच दशक की उपेक्षा से निकाल कर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी ने जनजातीय विकास को सही दिशा प्रदान की। विकास का यह क्रम जब आजादी के अमृत महोत्सव में पहुंचा, तो वर्तमान सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजाति गौरव का मान रखते हुए एक आदिवासी बेटी को राष्ट्र की प्रथम नागरिक बनाया।
 इसके बाद वे राजस्थान में 1993 में भाजपा की तीसरी बार बनी सरकार के दौरान जनजातिय विकास के लिए बनी योजनाओं, पांचवीं अनुसूची व अनुच्छेद 244 (1) पर भी विचार करते हैं। राज्यपाल की शक्तियों का प्रयोग करते हुए भीलो के लिए कई प्रगतिशील आदेश निकाल गये। संविधान में वर्णित पाँचवी अनुसूची के प्रावधान जनजातियों के विकास के लिए कितने मूल्यवान हैं, इस बात को अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के दस्तावेज में भी देखा जा सकता है।
 लेखक बताते हैं कि आज दक्षिणी राजस्थान में जनजातिय विकास अब अगले चरण में पहुंच रहा है, वह नौकरी पेशा तो बन ही रहा है, साथ ही व्यवसायी और उन्नत कृषक भी बना है। अपनी मूल पहचान, संस्कृति के आधार और गौरवशाली परंपराओं को हम नायकों की चिंतन प्रणाली परिवेश और उनके संघर्ष को देखना चाहिए। हाल ही में इस हेतु एक विस्तृत रचना इंदिरा गांधी कला केंद्र राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के साथ मिलकर कल्याण आश्रम ने बनाई। साथ ही आजादी का अमृत महोत्सव कालखंड में 104 विश्वविद्यालयों में जनजाति युवाओं के मध्य महान जनजातीय नायकों की बातों को रखा गया। पुस्तक बताती है कि नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्रित्व काल ‘जनजातीय विकास के अटल नमो पथ’ को वैचारिक रूप में स्थापित कर रहा है। भारत सरकार व अन्य राज्य सरकारों की योजनाआंे के केन्द्र में अब जनजाति बंधु आ रहे हैं। वन बंधु योजना, वन धन योजना, एकलव्य मॉडल विद्यालय, जनजातीय नायको राष्ट्रीय संग्रहालय, पी.एम जनमन योजना, सेवाओं व पाठ्यक्रमों में आरक्षण एवं सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन योजना के गठन से जनजाति समाज का सम्बल मिला है। वहीं विभिन्न राज्यों में जनजातीय विश्वविद्यालयों के गठन व जनजातीय अध्ययन केन्द्रों की स्थापना से जनजाति जीवन और उसके आदर्शों का अध्ययन अब सर्वजन को उपलब्ध हो रहा है।
By Udaipurviews

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