-कौशल मून्दड़ा
उदयपुर, 21 सितम्बर (कौशल मूंदड़ा) : स्वतंत्रता दिवस के अगले ही दिन 16 अगस्त को उदयपुर में समुदाय विशेष के नाबालिग छात्र द्वारा उसी के सहपाठी देवराज की हत्या के बाद स्कूलों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश जारी हुए थे। इसी क्रम में निजी स्कूलों ने भी अभिभावकों के लिए एक सर्कुलर जारी किया है और उनसे हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं। इस सर्कुलर को बातों ही बातों में ‘देवराज’ गाइडलाइन का नाम दे दिया गया है।
विदित है कि देवराज मोची भटियानी चौहट्टा सरकारी स्कूल का होनहार छात्र था और विशेष समुदाय से आने वाले उसी की कक्षा के छात्र ने उसकी जांघ पर चाकू से हमला कर दिया था। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि यह चाकू भी उसने देवराज पर हमला करने की नीयत से ही खरीदा था। इस घटना के बाद पूरे उदयपुर शहर की शांति प्रभावित हुई थी। देवराज ने चार दिन जीवन का संघर्ष करते हुए राखी पर दम तोड़ दिया था।
इस घटना से सिर्फ देवराज के परिवार को ही नहीं, हर अभिभावक को प्रभावित किया। यहां तक कि सरकार, प्रशासन, शिक्षाविद भी स्कूली छात्र में इस तरह की प्रवृत्ति को लेकर अब तक हैरान हैं। इसी कारण, शिक्षा विभाग ने स्कूलों में ऐसी वस्तुओं पर पाबंदी लगाने के लिए पहली मर्तबा लिखित में दिशा-निर्देश निकाले। इसी क्रम में अब यह गाइडलाइन निजी स्कूलों में भी जारी कर दी गई है।
निजी स्कूलों ने और भी जोड़े बिन्दु : -निजी स्कूलों ने धार वाली वस्तुओं तक ही अपने सर्कुलर सीमित नहीं रखे हैं। सर्कुलर में उन्होंने सिगरेट लाइटर, माचिस, पटाखे, केमिकल, स्प्रे, इलेक्ट्रोनिक गेजेट्स, मादक पदार्थ, बिना चिकित्सक लिखी दवाएं, सिरप के लिए तो पाबंद किया ही है, बिना काम के खेल उपकरण लाने और महंगी ज्वैलरी व नकदी पर भी पाबंदी लगाई है। खास बात यह है कि कुछ निजी स्कूलों ने इसी सर्कुलर में च्यूंगम जैसी वस्तु को भी निषेध कर दिया है।
सोशल मीडिया पर भी किया पाबंद : -निजी स्कूलों ने अभिभावकों को सोशल मीडिया पर भी आपत्तिजनक कमेंट्स से भी बचने की सलाह दी है। ऐसी गतिविधि सामने आने पर बच्चे को स्कूल से निष्कासित करने की बात सर्कुलर में लिखी गई है।
अभिभावक बेहतरी के साथ आशंकित भी : -अभिभावकों का कहना है कि ऐसे सर्कुलर ठीक हैं और च्यूंगम, महंगे आभूषण, नकदी जैसी वस्तुओं पर पाबंदी भी बच्चों के हित में ही है, लेकिन अभिभावकों का कहना है कि वस्तुओं का इस्तेमाल किसी की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। स्कूल प्रबंधनों को ऐसी प्रवृत्ति वाले बच्चों को चिह्नित कर उनके अभिभावकों की काउंसलिंग करनी चाहिए, क्योंकि बच्चों के बीच झगड़ा तो छोटी-छोटी बात पर हो जाता है, लेकिन बात जानलेवा हमले तक पहुंच जाए, ऐसी प्रवृत्ति वाले बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी होगा।
स्कूल बस्तों का औचक निरीक्षण : -निजी स्कूलों में स्कूल बस्तों का औचक निरीक्षण भी किया जा रहा है। देवराज की घटना के बाद स्कूल प्रबंधन भी सतर्क हैं।