रोगियों को समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के चिकित्सकों को दिये आवश्यक निर्देश
भीलवाडा, 11 मई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुस्ताक खान ने जिले में अत्यधिक गर्मी बढने के कारण लू-तापघात की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने चिकित्सा अधिकारियों, कर्मचारियों व आमजन को विशेष अहतियात बरतने के निर्देश दिये है। सीएमएचओ डॉ. खान ने समस्त स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देश दिए कि वे स्वास्थ्य केन्द्रों पर समय पर उपस्थिति के साथ-साथ फील्ड में भी पर्याप्त नजर रखें। सभी संस्थान आवश्यक दवाओं का वांछित स्टॉक रखें एवं प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को लू-तापघात से बचाव एवं उपचार की जानकारी देते रहें। उन्होंने लू-तापघात के रोगियों की संभावना को देखते हुए लू-तापघात से बचाव तथा आवश्यक व्यवस्थाऐं करने एवं लू-तापघात के रोगियों को समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक व्यवस्थाऐं करने के चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश प्रदान किये।
लू-तापघात के लक्षण- डिप्टी सीएमएचओ डॉ. घनश्याम चावला ने बताया कि लू व तापघात के रोगी के लक्षणों में सिर में भारीपन व सिर दर्द, अधिक प्यास लगना व थकावट, जी मचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान अत्यधिक (105 एफ. या इससे अधिक) हो जाना व शरीर से पसीना आना बंद होना, मुहॅं का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना, बेहोशी जैसी स्थिति का होना आदि शामिल है।
क्या करें- लू-तापघात से बचाव के लिए तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, नींबू की शिकंजी, छाछ, फलों का रस, लस्सी, राबडी बार-बार पीएं। गर्मी चढने की अवस्था में पूरे बदन को बार-बार गीले कपडे से पौंछे। धूप में बाहर निकलते वक्त गमछे व छाते का उपयोग करें। गर्मी में बाहर निकलते समय अपना मुंह और सिर पूरी तरह कपडे से ढ़ककर रखे। भरपेट ताजा भोजन करें। लू तापघात से प्रायः कुपोषित बच्चे, वृद्ध गर्भवती महिलाएं, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते हैं। इन्हें तेज गर्मी से बचाने हेतु छायादार ठण्डे स्थान पर रहने का प्रयास करें। अकाल राहत कार्यों पर अथवा श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबंध रखा जावे ताकि श्रमिक थोड़ी-थोड़ी देर में छायादार स्थानों पर विश्राम कर सके। खिडकी की रिफ्लेक्टर जैसे एल्युमीनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढक कर रखे, ताकि बाहर की गर्मी को अन्दर आने से रोका जा सके। लू-तापघात की स्थिति में रोगी को यथाशीघ्र अपने निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र/चिकित्सक के पास उपचार हेतु जरूर लेकर जावे।
क्या ना करे- डिप्टी सीएमएचओ डॉ. घनश्याम चावला आमजन से अपील की है कि जहां तक संभव हो धूप में न निकले। उन्होंने लू-तापघात से बचाव के लिए लोगों को भूखे पेट अधिक समय तक धूप में न रहने, चिपके रहने वाले कपडों के इस्तेमाल से बचे, गर्म व मादक पदार्थाे का सेवन न करें, दूषित जल न पिए एवं खुले में पडे खाद्य पदार्थ व सडे़-गले फल व बासी सब्जियां न खाये तथा बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा का सेवन नही करने की सलाह दी। उन्होंने सभी खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रचार प्रसार के माध्यम से जनसाधारण को लू-तापघात से बचाव एवं उपचार हेतु जानकारी अपने स्तर से समय-समय पर प्रसारित करावें। आशा-एएनएम समुदाय से उल्टी-दस्त व बुखार के रोगियों का चिन्हीकरण कर उपचार हेतु स्वास्थ्य केन्द्र भिजवाये।
उप-राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान 28 मई को
भीलवाडा, 11 मई। डब्ल्यूएचओ द्वारा 27 मार्च, 2014 को भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था, किन्तु वैश्विक स्तर पर सीमावर्ती पड़ौसी देशों में पोलियो वायरस का संक्रमण अभी भी जारी है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने डॉ. मुश्ताक खान ने बताया कि इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा 28 मई को उप-राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण दिवस (एस.एन.आई.डी.) आयोजित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया हैं। इसके लिए जिले को पोलियो रोग से मुक्ति हेतु चलाये जा रहे पल्स पोलियो अभियान के विगत चरणों में सभी विभागों के पूर्ण सहयोग से सफलता प्राप्त हुई है।
उन्होंने बताया कि पल्स पोलियो अभियान के सफलतापूर्वक संचालन एवं सामान्य टीकाकरण के जारी रहते हुए. जिले में पोलियो रोग से ग्रसित बच्चों की संख्या विगत कई वर्षाे से शुन्य रही है। अतः इस रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए एक बार पुनः पल्स पोलियो अभियान 28 मई, 2023 को आयोजित होने जा रहा है।
सीएमएचओ डॉ. खान ने विभिन्न विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं के अध्यक्ष आदि से अनुरोध किया है कि इस राष्ट्रीय कार्यक्रम की महत्ता को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक स्तर पर विभाग को पूर्ण सहयोग प्रदान करावें। साथ ही जानकारी दी कि आयुर्वेद चिकित्सक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एल.एस. एवं ग्राम साथिन आदि की ड्यूटी बूथ कार्यकर्ता एवं अन्य सुपरवाईजर्स के रूप में लगाई गई हैं। इस बार भी प्रथम दिन बूथ पर तथा दूसरे व तीसरे दिन घर-घर जाकर 0 से 5 वर्ष तक बच्चों को पोलियो की खुराक दी जायेंगी।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर भ्रमण कर देंगे अभियान की जानकारी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक से 28 मई को उप-राष्ट्रीय पल्स पोलियो कार्यक्रम आयोजन के संबंध में समस्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा अभियान से पूर्व घर-घर भ्रमण कर कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार किये जाने के बारे में बताया। साथ ही बूथ की जगह एवं समय की जानकारी भी अभिभावकों को दी जाने एवं आंगनवाडी केन्द्रों के परिक्षेत्र में लगने वाले बूथों को समय पर खोला जाये, मध्यांतर के पश्चात दवा से वंचित बच्चों को बूथ पर दवा हेतु बुलाने में सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने अधीनस्थ सुपरवाईजरी स्टाफ के द्वारा अभियान के दिन बूथों एवं घर घर एक्टिविटी का सुपरविजन किया जाने के बारे में बताया।
किसान बकरी पालन द्वारा बने आत्मनिर्भर – डॉ. यादव
भीलवाडा, 11 मई। कृषि विज्ञान केन्द्र, पर बकरी पालन द्वारा आत्मनिर्भरता विषय पर चार दिवसीय संस्थागत कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने बताया कि बकरी पालन भूमिहीन, लघु एवं सीमांत किसानों के जीवन निर्वाह का प्रमुख स्त्रोत है। डॉ. यादव ने बकरियों की प्रमुख नस्लें सिरोही, सोजत, गूजरी, करौली, मारवाड़ी, झकराना, परबतसरी एवं झालावाड़ी में आवास एवं आहार प्रबन्धन, प्रमुख रोग एवं निदान, कृमिनाशक, बाह्य परजीवी नियन्त्रण की जानकारी दी और बकरी पालन को किसान के लिए एटीएम एवं चलता फिरता फ्रीज बताया।
प्रोफेसर शस्य विज्ञान डॉ. के. सी. नागर ने बकरी पालन हेतु स्थान का चयन, शेड का निर्माण, बकरियों की संख्या का नियन्त्रण, वर्ष भर हरा चारा उत्पादन, बकरी के दूध की उपयोगिता एवं विपणन के बारे में बताया।
कृषि महाविद्यालय के सहायक आचार्य पशुपालन डॉ. एच. एल. बुगालिया ने बकरियों में होने वाले संक्रामक रोग उनके फैलने के कारण और निदान की जानकारी दी साथ ही कृषक उत्पादक संगठन से जुड़कर बकरी पालन अपनाने के बारे में जानकारी दी।
वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता प्रकाश कुमावत ने बकरी पालन को कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय बताया जिसको किसान छोटे स्तर से बड़े स्तर तक आसानी से किया जा सकता है, साथ ही बकरियों में होने वाले प्रमुख रोग एवं टीकाकरण के बारे में बताया। इस अवसर पर बकरीपालकों को विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कृषि कलैण्डर वितरित किए गए। प्रशिक्षण में 30 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
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