विद्यापीठ – चन्द्रयान 3: क्रमागम उन्नति पर, वार्ता का हुआ आयोजन
उदयपुर 17 सितम्बर / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय, विज्ञान समिति एवं डाॅ. दौलत सिंह कोठारी शोध एवं शिक्षा संस्थान की ओर से प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में चन्द्रयान 3: क्रमागम उन्नति पर वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें भारत की चन्द्रयान की यात्रा को वरिष्ठ वैज्ञानिका , जी एवं समूह निदेशक , ग्रह और भूविज्ञान समूह के डाॅ. आशुतोष आर्य, वरिष्ठ वैज्ञानिक, एसजी सेंसर विभाग , अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र ईसरों के डाॅ. हरीश सेठ ने चन्द्रयान की विकास यात्रा को प्रोजेक्टर के प्रजेनटेशन के माध्यम से विधार्थियों केा बताया और उनके मन में उपजे प्रश्नो एवं जिज्ञासाओं को शांत किया। उन्होंने कहा कि क्रमागत विकास की उन्नति के कारण ही आज इंसानों की एक कॉम्पलेक्स लाइफ फॉर्म हुई। इसमें ऑक्सीजन का बहुत बड़ा योगदान है। हमारे सोचने के तरीकों से लेकर हमारी बनावट और बाकी चीजों में क्रमागत उन्नति ही काम कर रही है। आज के समय क्रमागत उन्नति के विकास ने हमारी मेधा को उस स्तर पर पहुंचा दिया है, जहां हम खुद अंतरिक्ष में यात्रा कर सकते हैं और सुदूर अंतरिक्ष में सफर करने वाले वॉयजर जैसे यान भी भेज चुके हैं। यही नहीं अब तो चांद, मंगल और कई दूसरे उपग्रहों को कॉलोनाइज करने की योजना बनाई जा रही है। एक समय पृथ्वी पर कॉम्पलेक्स लाइफ फॉर्म करने में जिस साइनोबैक्टीरिया ने बड़ी भूमिका निभाई थी। अब चांद और मंगल ग्रह को कॉलोनाइज करने में इसकी काफी ज्यादा जरूरत हम लोगों को है। नासा साल 2025 में अपने आर्टेमिस मिशन के अंतर्गत चांद के दक्षिणी ध्रूव पर इंसानों को उतारने जा रहा है। ऐसे में इस सेलेस्टियल बॉडी को कॉलोनाइज करने में साइनोबैक्टीरिया का एक अहम किरदार होगा।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि दुनिया भर में भारत के चंद्रायन-3 मिशन की सफलता के लिए प्रशंसा मिल रही है चांद पर ऐतिहासिक लैंडिंग की दुनिया भर में व्यापक रूप से प्रशंसा है बहुत कम लोग जानते हैं कि चंद्रयान-3 को यह नाम कैसे मिला उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि साल की शुरुआत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के अध्यक्ष श्रीधर सोमनाथ ने कहा था कि संस्कृत में लिखा गया भारतीय साहित्य अपने मूल और दार्शनिक रूप में बेहद समृद्ध है यह वैज्ञानिक रूप में भी महत्वपूर्ण है उन्होंने कहा कि प्राचीन भाषा की संरचना और वाक्य विन्यास इसे वैज्ञानिक विचारों और प्रक्रियाओं को दर्शाने के लिए आदर्श बनाते हैं चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट संस्कृत में चंद्रयान जिसमें चंद्र का अर्थ चंद्रमा एवं यह का अर्थ शिल्प या वहां है जो चंद्रमा पर जाने वाले मिशन के लिए सबसे अच्छा नाम है 6 पहियों वाला रोवर प्रज्ञान जो अब चंद्रमा की मिट्टी का विश्लेषण करने के लक्ष्य के साथ चंद्रमा पर चल रहा है संस्कृत में ज्ञान कहलाता है उन्होंने विक्रमके नाम पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि चंद्रयान-3 के लेंडर का नाम विक्रम भी एक संस्कृत नाम है जिसका अर्थ है वीरता यह विशेष रूप से इंडियन स्पेस प्रोग्राम के जनक सुबह विक्रम साराभाई के सम्मान में रखा गया है विक्रम साराभाई ने इसरो के पहले अध्यक्ष के रूप में नवंबर 1947 में फिजिक्स रिसर्च लैबोरेट्री की स्थापना की यह आजाद भारत की पहली लेब मानी जाती है। चन्द्रयान 3 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रूव पर उतार कर पूरे विश्व में इतिहास रच दिया है और हम भारतीयों के लिए गौरव की बात है। भारत दुनिया में ये कार्य करने वाला चैथा देश बन गया है। जो दुनिया नहींे कर सकी वह भारत के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया।
इस अवसर पर कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर, डाॅ. सुरेन्द्र सिंह पोखरना, रजिस्ट्रार डाॅ. तरूण श्रीमाली, प्रो. सरोज गर्ग, परीक्षा नियंत्रक डाॅ. पारस जैन, डाॅ. भूरालाल श्रीमाली, डाॅ. सपना श्रीमाली, डाॅ. मनीष श्रीमाली, डाॅ. कुल शेखर व्यास, सहित विधार्थी उपस्थित थे।
पुस्तक का हुआ विमोचन:- समारोह में अतिथियों द्वारा डाॅ. ललित श्रीमाली द्वारा लिखित पुस्तक हिन्दी आलोचना का नया गद्य परख और पड़ताल का विमोचन किया गया।
संचालन डाॅ. यज्ञ आमेटा ने किया।