आयड़ जैन तीर्थ में चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृृंखला जारी
उदयपुर 24 अगस्त। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में आयड़ तीर्थ पर गुरुवार को 23वें तीर्थंकर शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जिनालय में निर्वाण कल्याणक दिवस पर 23 किलों का निर्वाण लड्डू चढ़ाया। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि आयड़ स्थित श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर में श्रीमती शान्ता देवी- ललित नाहर, कुलदीप नाहर परिवार को भगवान को २३ किलो का लड्डू चढ़ाने का लाभ मिला। महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने बताया कि पाश्र्वनाथ भगवान ने अपने ज्ञान के द्वारा जाना कि एक नाग-नागिन का जोड़ा काष्ट के मह मध्य जल रहा है एक योगी अज्ञान तप करते हुए देखा और उन्होंने अपने सेवक के द्वारा नाग-नागिन के जोड़ों को महा मंत्र नवकार मंत्र सुनाया वहां से मरकर धरणेन्द्र – पद्मावती देव-देवी बने, परमात्मा के जल का उपसर्ग आने पर उनकी सेवा की तथा भीषण वर्षा से रक्षा की। प्रभावती रानी के साथ पाणिग्रहण हुआ परन्तु उनका मन सांसारिक विषयों प्रति अनुरूप नहीं हुआ। मात्र 30 वर्ष की अवस्था में संसार का त्याग कर संयम स्वीकार किया। संयम लेने के पश्चात कठोर तप साधना करते रहे। चौरासीय दिन घाति कर्मों का क्षय कर केवल ज्ञान को प्राप्त किया। 70 वर्ष तक विचरण कर अनेक जीवों को सन्मार्ग पर लगाया अंत में सम्मेत शिखर गिरी पर तेतीस मुनि के साथ अनसन व्रत लेकर श्रावण सुदी अष्टमी के दिन मोक्ष पद यानि निर्वाण को पद को प्राप्त किया। आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
पाश्र्वनाथ भगवान को 23 किलों का लड्डू चढ़ाकर निर्वाण कल्याणक महोत्सव मनाया
