उदयपुर। न्यू भूपालपुरा स्थित अरिहंत भवन में विराजमान आचार्य प्रवर ज्ञानचंद्र महाराज ने आज के धर्म सभा में नौ दिवसीय णमोत्थानम धर्म जाप साधना शिविर के दूसरे दिन कहा कि जिस नोट पर गर्वनर के हस्ताक्षर होते है, उसी की कीमत है’। भले वह कागज का टुकड़ा तोड़ दो, मरोड़ दो, गंदा करने तब भी उसकी कीमत कम नहीं होती। उसी तरह आपकी आत्मा का पतन नही हो सकता। हमारा पेपर बहुत कुछ चीजों से लिखकर भरी हुआ है, उसमें हस्ताक्षर की भी जगह नहीं बचाई है। इसलिए कागज साफ रखो ताकि हस्ताक्षर की जगह के हस्ताक्षर हो सके।.
आचार्य ने कहा कि तुम्हारे शरीर में बीमारी आ जाए तो सोचो आत्मा अमर है,अन्तर्मुखी बन गए तो बाहर के रोग सतायेंगे नहीं। पैसा चला गया तो भी अंदर में आ जाओ। सोचो ये तो है ही जाने वाला। लक्ष्मी तो होती ही चंचल है। पैसा कौन खाता है। खानी तो रोटी ही है।
नजर बदल दीजिए नजारे बदल जाएंगे। सोच बदल दीजिए किस्मत के सितारे बदल जाएंगे’।
भक्तामर की गाथा “दूरे सहस्त्र किरणः“ फिर भी उसकी किरणों से कमल खिल उठता है। वैसे ही अरिहंत परमात्मा भले हमसे दूर है, उनके नेटवर्क से आप जुड़ गए तो उनका पावर हमें जरुर मिलेगा। उनकी तरंगे आपको मजबूत बना देगी।
आचार्य भगवन् ने बताया-आपका नाम अमर कैसे रहता है। जो नाम धर्म स्थानों, संस्थाओं में लग गया वो नाम हटता नहीं है। घर के आगे लगे नेम प्लेट को आपके जाते ही बेटे हटा देंगे। इसलिए नाम वहां लगाने के भाव जगाओ जहां लगाने में इस भव पर भव दोनों में उस नाम का प्रभाव हो।
अरिहंत परमात्मा भले हमसे दूर है, उनके नेटवर्क से आप जुड़ गए तो उनका पावर हमें जरुर मिलेगाः आचार्य ज्ञानेश
