उदयपुर, 4 मई : बांसवाड़ा जिले के राउमावि अमरथून विद्यालय पर कोर्ट के कुर्की आदेश के चलते संकट के बादल मंडरा रहे हैं। विद्यालय के संस्था प्रधान अरुण व्यास ने शुक्रवार को घाटोल कोर्ट में एक घंटे तक हाथ जोड़कर न्यायालय से विनती की कि विद्यालय के हित में कुर्की की कार्रवाई न की जाए। उनका कहना था कि यह केवल स्कूल की संपत्ति नहीं, बल्कि 700 विद्यार्थियों का भविष्य है-कुर्की से पहले मौत आ जाए।
प्रशासनिक लापरवाही पर नोटिस, फिर भी कोई हल नहीं : 4 मार्च 2022 को आए कोर्ट के निर्णय को उच्चाधिकारियों को समय पर अवगत नहीं कराने के कारण जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय (माध्यमिक) को दो बार कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। वहीं, निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर ने भी 27 फरवरी 2025 को शासन सचिवालय के संयुक्त विधि परामर्शी को पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा है।
कलेक्टर और निदेशालय को भेजे गए प्रस्ताव : संस्था प्रधान द्वारा कई बार रजिस्टर्ड डाक, ईमेल और व्यक्तिगत मुलाकातों के ज़रिए विभागीय अधिकारियों को मामले की जानकारी और मार्गदर्शन हेतु आवेदन भेजे गए। 24 और 27 मार्च 2025 को वित्तीय प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बीकानेर निदेशालय भेजे गए। वहीं जिला कलेक्टर बांसवाड़ा को भी अधिवक्ता नियुक्ति हेतु पत्र भेजा गया और अपर लोक अभियोजक श्री गौरव उपाध्याय को केस की पैरवी के लिए अधिकृत किया गया है।
अब आगे क्या? कोर्ट के आदेश की पालना करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को मुआवजा राशि का भुगतान पीड़ित परिवार को कराना होगा। साथ ही राजस्थान हाई कोर्ट में एवीवीएनएल द्वारा दायर अपील (प्रकरण 306/2022) में भी शिक्षा विभाग को प्रभावी पैरवी करनी होगी।
पालना नहीं होने पर शुरू हुई कुर्की कार्यवाही : कोर्ट के आदेश के बावजूद मुआवजा राशि का भुगतान नहीं होने पर अमरथून स्कूल के विरुद्ध कुर्की कार्यवाही शुरू की गई है। इससे संस्था प्रधान अरुण व्यास मानसिक रूप से टूट चुके हैं। वे 7 जनवरी 2021 को इस विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करने के बाद से कठिन परिश्रम से स्कूल को खड़ा करने में जुटे रहे हैं। उनका कहना है कि इस कुर्की से स्कूल का भविष्य संकट में आ जाएगा और वे खुद हर चौखट पर गुहार लगा रहे हैं।
करंट लगने से मजदूर की मौत, अब तक नहीं मिला मुआवजा : इस पूरे प्रकरण की जड़ एक पुरानी दुर्घटना है। 9 जुलाई 2013 को एक श्रमिक हरीश चरपोटा की विद्युत करंट लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद एफआईआर और कोर्ट केस क्रमांक 032/2013 बांसवाड़ा कोर्ट में दायर हुआ। न्यायालय ने 4 मार्च 2022 को फैसला सुनाते हुए शिक्षा विभाग और एवीवीएनएल को दोषी माना। फैसले के अनुसार, 6,74,800 रुपये की मूल राशि में से 20% यानी ₹1,34,960 शिक्षा विभाग को देने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही 10 साल 8 माह का ब्याज ₹1,00,770 भी जोड़कर कुल ₹2,35,770 की देयता बनी, जो 7 अप्रैल 2025 तक बढ़कर लगभग ₹2,55,770 हो गई है।