उदयपुर, 15 जुलाई। अशोक नगर, लोकाशाह जैन स्थानक सभागार में मंगलवार को धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए डॉ. चिंतनश्री जी म.सा. ने फरमाया कि नदियां दो तरह की होती है-एक रेगिस्तान में बहती हैं और दूसरी पहाड़ों से निकल कर मैदानों में बहती हैं। रेगिस्तान में बहने वालीं नदी धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं और मैदानों में बहने वाली नदी अंत में समुद्र में मिलकर विशाल रूप धारण कर लेती हैं। व्यक्ति का जीवन भी उसकी भावना अनुरूप बनता है। वो इंसान को देवता बना सकता है। प्रज्ञा मूर्ति मधु कुँवर ने कहा कि जीवन में सौहार्द का गुण होना चाहिये। धर्मसभा में श्रीसंघ संरक्षक ओंकार सिंह सिरोया, अध्यक्ष कांतिलाल जैन, महामंत्री राजेंद्र खोखावत, कोषाध्यक्ष ललित चौधरी, महिला मंडल अध्यक्ष सुशीला भानावत, मंत्री मंजु तलेसरा, कोषाध्यक्ष मंजु खोखावत सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाऔ ने गुरु वंदना कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
व्यक्ति का जीवन उसकी भावना अनुरूप बनता है : डॉ. चिंतनश्री
