– मुक्ति के लिए साधना करना आवश्यक है : आचार्य महाश्रमण
– आचार्य महाश्रमण का आज का प्रवास ओडन में
– 5 नवम्बर को दिवेर में आयोजित होगा मंगल भावना समारोह
उदयपुर, 28 नवम्बर। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण अपनी धवल वाहिनी के साथ त्याग, शौर्य, और बलिदान की वीर वसुंधरा मेवाड़ में अहिंसा यात्रा के माध्यम से नशामुक्ति , नैतिकता और सद्भावना का संदेश देते हुए विभिन्न क्षेत्रों का विचरण करते हुए धर्म प्रभावना कर रहे है। श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण 28 नवम्बर को प्रात: इग्निस ग्रेनाइट बिलोता से विहार करके घोड़घाटी स्थित मदन विहार धाम पर पधारे। सांयकाल में पुन: विहार करते हुए आचार्य महाश्रमण ओडन पधारे जहां रात्रि प्रवास हुआ। आचार्य महाश्रमण लम्बे-लम्बे डग भरते हुए 29 नवंबर को श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा पधारेंगे। फत्तावत ने बताया कि आज के पूरे विहार मार्ग में अनेकों स्थानों पर अलग अलग क्षेत्रों के श्रद्धालुओं ने आचार्य महाश्रमण के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। विहार यात्रा में उदयपुर, कांकरोली, राजनगर, नाथद्वारा, आमेट, केलवा, भीलवाड़ा सहित अनेक क्षेत्रों के कार्यकर्ता सेवा में लगे हुए है। मार्ग में नेगडिय़ा टोल कर्मियों द्वारा आचार्य महाश्रमण से नशामुक्ति का संकल्प लिया गया। मेवाड़ यात्रा के दौरान विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों और हस्तियों का आचार्य महाश्रमण के दर्शन हेतु आने का क्रम बना हुआ है। फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण 30 नवम्बर को कांकरोली, 1 दिसंबर को राजनगर, 2 दिसंबर को केलवा पधारेंगे। आचार्य महाश्रमण ने विहार के बाद उपस्थित जन समुदाय को अमृत देशना देते हुए फरमाया कि हमें सुमन बनने का प्रयास करना चाहिए। मन को बुरे विचारों से बचाना चाहिए। व्यक्ति को अपनी आत्मा को अशुभ फल से बचाना चाहिए। अशुभ फल से बचाव संवर और निर्जरा की साधना से संभव हो सकता है। क्रिया करने से मोक्ष मिलना सम्भव नहीं है। भगवान महावीर ने कहा कि तुम अक्रिय बन जाओ तो मोक्ष प्राप्ति हो पाएगी। मुक्ति के लिए साधना करना आवश्यक है। जो व्यक्ति धार्मिकता के साथ जुड़ा हुआ है वह अपनी आत्मा के साथ जुड़ा रहेगा। मनरूपी घोड़े की लगाम अपने हाथ में रखे ताकि हमेशा सदपथ पर चले। आज के कार्यक्रम में मेवाड़ कांफ्रेंस अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, मदन पथिक विहार धाम घोड़घाटी अध्यक्ष मांगीलाल लोढ़ा ने स्वागत और आभार की रस्म अदा की। जैन महिला मंडल घोड़घाटी की बहिनों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। आज के कार्यक्रम में मदन पथिक विहार धाम घोड़घाटी के अध्यक्ष मांगीलाल लोढ़ा, महामंत्री लक्ष्मीलाल बडाला, नेमीचंद धाकड़, राजू दुग्गड, लोकेश धाकड़, कँवरलाल सूर्या, आनंद चपलोत, संपतलाल लोढ़ा, ख्यालीलाल सिंघवी का साहित्य समर्पण उपरना और स्मृति चिन्ह द्वारा अभिनंदन श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के राजकुमार फत्तावत, तनसुख बोहरा, महेंद्र कोठारी, कमलेश कच्छारा,देवेंद्र कच्छारा द्वारा किया गया। अंत में उपस्थित जन समुदाय को मंगल पाठ का श्रवण करवाया गया।
– आचार्य महाश्रमण का आज का प्रवास ओडन में
– 5 नवम्बर को दिवेर में आयोजित होगा मंगल भावना समारोह
उदयपुर, 28 नवम्बर। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण अपनी धवल वाहिनी के साथ त्याग, शौर्य, और बलिदान की वीर वसुंधरा मेवाड़ में अहिंसा यात्रा के माध्यम से नशामुक्ति , नैतिकता और सद्भावना का संदेश देते हुए विभिन्न क्षेत्रों का विचरण करते हुए धर्म प्रभावना कर रहे है। श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण 28 नवम्बर को प्रात: इग्निस ग्रेनाइट बिलोता से विहार करके घोड़घाटी स्थित मदन विहार धाम पर पधारे। सांयकाल में पुन: विहार करते हुए आचार्य महाश्रमण ओडन पधारे जहां रात्रि प्रवास हुआ। आचार्य महाश्रमण लम्बे-लम्बे डग भरते हुए 29 नवंबर को श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा पधारेंगे। फत्तावत ने बताया कि आज के पूरे विहार मार्ग में अनेकों स्थानों पर अलग अलग क्षेत्रों के श्रद्धालुओं ने आचार्य महाश्रमण के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। विहार यात्रा में उदयपुर, कांकरोली, राजनगर, नाथद्वारा, आमेट, केलवा, भीलवाड़ा सहित अनेक क्षेत्रों के कार्यकर्ता सेवा में लगे हुए है। मार्ग में नेगडिय़ा टोल कर्मियों द्वारा आचार्य महाश्रमण से नशामुक्ति का संकल्प लिया गया। मेवाड़ यात्रा के दौरान विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों और हस्तियों का आचार्य महाश्रमण के दर्शन हेतु आने का क्रम बना हुआ है। फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण 30 नवम्बर को कांकरोली, 1 दिसंबर को राजनगर, 2 दिसंबर को केलवा पधारेंगे। आचार्य महाश्रमण ने विहार के बाद उपस्थित जन समुदाय को अमृत देशना देते हुए फरमाया कि हमें सुमन बनने का प्रयास करना चाहिए। मन को बुरे विचारों से बचाना चाहिए। व्यक्ति को अपनी आत्मा को अशुभ फल से बचाना चाहिए। अशुभ फल से बचाव संवर और निर्जरा की साधना से संभव हो सकता है। क्रिया करने से मोक्ष मिलना सम्भव नहीं है। भगवान महावीर ने कहा कि तुम अक्रिय बन जाओ तो मोक्ष प्राप्ति हो पाएगी। मुक्ति के लिए साधना करना आवश्यक है। जो व्यक्ति धार्मिकता के साथ जुड़ा हुआ है वह अपनी आत्मा के साथ जुड़ा रहेगा। मनरूपी घोड़े की लगाम अपने हाथ में रखे ताकि हमेशा सदपथ पर चले। आज के कार्यक्रम में मेवाड़ कांफ्रेंस अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, मदन पथिक विहार धाम घोड़घाटी अध्यक्ष मांगीलाल लोढ़ा ने स्वागत और आभार की रस्म अदा की। जैन महिला मंडल घोड़घाटी की बहिनों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। आज के कार्यक्रम में मदन पथिक विहार धाम घोड़घाटी के अध्यक्ष मांगीलाल लोढ़ा, महामंत्री लक्ष्मीलाल बडाला, नेमीचंद धाकड़, राजू दुग्गड, लोकेश धाकड़, कँवरलाल सूर्या, आनंद चपलोत, संपतलाल लोढ़ा, ख्यालीलाल सिंघवी का साहित्य समर्पण उपरना और स्मृति चिन्ह द्वारा अभिनंदन श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के राजकुमार फत्तावत, तनसुख बोहरा, महेंद्र कोठारी, कमलेश कच्छारा,देवेंद्र कच्छारा द्वारा किया गया। अंत में उपस्थित जन समुदाय को मंगल पाठ का श्रवण करवाया गया।
