उदयपुर। भूपालपुरा स्थित पूज्य सन्त साईं साबूराम साहिब के दरबार में चल रही 52 वा तीन दिवसीय बरसी के द्वितीय दिवस पर आज भक्तिभाव और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत माहौल में समाज व दरबार के भक्तों के कल्याणार्थ हवन-पाठ का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर दरबार के वर्तमान गद्दीनशीन स्वामी रामचन्द्र जी ने बताया कि पूज्य सन्त साबूराम साहिब की बरसी प्रतिवर्ष गुरुनानक जयंती के सातवें दिन से प्रारंभ होकर तीन दिनों तक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। इस दौरान उदयपुर सहित सम्पूर्ण देश से श्रद्धालु एवं भक्तगण दरबार में पहुंचकर अपनी मनोकामनाएँ व्यक्त करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
स्वामी रामचन्द्र जी ने कहा कि साईं साबूराम साहिब का जीवन समाजसेवा, प्रेम और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण रहा है। उनकी शिक्षाएँ आज भी समाज को सत्य, करुणा और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
दरबार के सेवादार करण माटिया ने बताया कि कल, बरसी के अंतिम दिन गुरुवार को भोग साहिब का आयोजन होगा, जिसके पश्चात लंगर प्रसादी का कार्यक्रम भूपालपुरा स्थित दरबार में रखा गया है।
कार्यक्रम के दौरान दरबार में सत्संग, भजन और आरती से वातावरण भक्तिमय बना रहा। उपस्थित श्रद्धालुओं ने साईं साबूराम साहिब के पवित्र उपदेशों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
श्लोक:
मन हरि किआ तन सभ साजिया पंच तत रच जोत निवाजिया।
सहिजा धरत बरतन कउ पानी निमख न विसारहु से सेवहु सारिगपानी॥
अर्थ:
परमात्मा ने ही मन (आत्मा) और यह सम्पूर्ण शरीर रचा है। उसने पंच तत्वों से यह देह बनाकर उसमें अपनी दिव्य ज्योति स्थापित की है। धरती और जल हमें प्रदान किए हैं — अतः उस परमात्मा को एक क्षण के लिए भी न भूलो, सदा उसकी सेवा और भक्ति में लीन रहो।
