उदयपुर, 12 अगस्त। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में केशवनगर स्थित नवकार भवन में चातुर्मास कर रही महासती विजयलक्ष्मी जी म.सा. ने मंगलवार को धर्मसभा में कहा कि पाप को कम करेंगे तब साधक का मन साधना में तन्मय होगा। साधन एकत्रित किए जाते हैं घर को संवारने के लिए और साधना की जाती है आत्मा को सजाने के लिए। साधनों को एकत्रित करने के लिए पुण्य का स्टॉक चाहिए और साधना करने के लिए मन की एकाग्रता चाहिए। क्षमा मांगने में विनम्रता चाहिए। वास्तव में क्षमा उनसे मांगो जिनसे लड़ाई-झगड़ा और अपराध हुआ है। तभी यह सच्ची विनम्रता व क्षमा कहलाती है। संसार क्रोध, मान, माया, लोभ, कषाय की फैक्ट्री है। इसमें कर्मों का प्रोडक्शन होता रहता है। क्रोध से प्रीति का नाश होता है, स्व-पर के परिताप पैदा करता है। कषाय को जीतने का प्रयास करें। अंदर में गंदगी भरी है और ऊपर फूल व अगरबत्ती लगाने से वातावरण शुद्ध नहीं होता वैसे ही हमारे भीतर कषाय की गंदगी भरी है और फिर व्रत-प्रत्याख्यान भी करने हैं, सामायिक आदि करते जा रहे हैं ये सारा औपचारिक है-वास्तविक नहीं। धर्मसभा को महासती श्री सिद्धिश्री जी म.सा. ने भी सम्बोधित किया। श्रीसंघ अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने बताया कि मंगलवार को श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी शान्त-क्रान्ति जैन श्रावक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सी.ए. विरेन्द्र जी जैन दर्शनार्थ उपस्थित हुए। उन्होंने म.सा. के दर्शन-वंदन कर धर्मचर्चा की। वहीं प्रतिदिन 12 घंटे का नवकार मंत्र का जाप भी निरन्तर किया जा रहा है जिसमें श्रावक-श्राविकाएं उत्साह से भाग ले रहे हैं।
बहुत बड़ी साधना, आराधना है मौन : जिनेन्द्र मुनि
उदयपुर, 12 अगस्त। श्री वर्धमान गुरू पुष्कर ध्यान केन्द्र के तत्वावधान में दूधिया गणेश जी स्थित स्थानक में चातुर्मास कर रहे महाश्रमण काव्यतीर्थ श्री जिनेन्द्र मुनि जी म.सा. ने मंगलवार को धर्मसभा में कहा कि मौन बहुत बड़ी साधना, आराधना है। मौन कितने ही संघर्षों को टालता है, कलह से बचाता है। मौन रहने वाला व्यक्ति प्रतिकार नहीं करता इसका मतलब यह नहीं कि आप दीन-हीन है, आपमें प्रतिकार की क्षमता नहीं है। प्रतिकार की क्षमता होने पर भी क्रोध के समय या विवाद, कलह को शान्त करने के लिए मौन धारण करने वाला महान होता है। मौन में सभी विवादों को हल करने की क्षमता है, इसलिए मौन को दैनिक जीवन का अंग बनाना चाहिए और प्रत्येक व्यक्ति को ज्यादा नहीं तो कम से कम एक घंटा प्रतिदिन मौन अवश्य धारण करना चाहिए।
