उदयपुर, 8 अगस्त। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में केशवनगर स्थित नवकार भवन में चातुर्मास कर रही महासती विजयलक्ष्मी जी म.सा. ने शुक्रवार को धर्मसभा में कहा कि साधु का जीवन अनुशासनबद्ध होता है। वह धर्म अनुसार जीवन जीते हैं। जैसे बहता हुआ पानी निर्मल रहता है वैसे ही साधु विचरण करते हुए अपने पर कोई दाग नहीं लगने देते। इस दौरान यदि कोई परीषह आता भी है तो भी वे भावना उच्च रखते हैं। इससे उनके कर्मों की निर्जरा होती है, अन्यथा साधु पुण्यार्जन तो कर ही लेता है। गृहस्थ जीवन में जो एक दूसरे को समझते हैं, वे ही संयुक्त परिवार में रह सकते हैं। जो गृहस्थ दैनिक जीवन में दान देते हैं, शील पालते हैं, तप त्याग करते हैं, उनके पुण्य का बैलेंस रहने तक सुख स्वास्थ्य, धन आदि संपदा बनी रहती है। इसीलिए कहा गया है कि गृहस्थ जीवन पुण्य प्रधान है। यदि व्यक्ति का पुण्य उदय हो और वह उस पुण्य का सदुपयोग करे तो पुण्य से पुण्य बढ़ता जाता है। आगम में नौ प्रकार के पुण्य की चर्चा आती है, उनमें से नमस्कार पुण्य करने में न पैसा लगता है न टका लगता है। हम प्रभु को नमस्कार करके मन पुण्य वचन पुण्य और काय पुण्य प्राप्त कर लेते हैं। इसी पुण्य की नाव में बैठकर हम सिद्ध बुद्ध व मुक्त बन सकते हैं। इससे पूर्व महासती श्री सिद्धिश्री जी म.सा. ने भक्त प्रत्याख्यान, इंगित मरण एवं पाद मरण की चर्चा करते हुए कहा कि हम अपने मरण को भी श्रेष्ठ बना सकते हैं।
मानवता का सबसे बड़ा धर्म है इंसान के काम आना : जिनेन्द्र मुनि
उदयपुर, 8 अगस्त। श्री वर्धमान गुरू पुष्कर ध्यान केन्द्र के तत्वावधान में दूधिया गणेश जी स्थित स्थानक में चातुर्मास कर रहे महाश्रमण काव्यतीर्थ श्री जिनेन्द्र मुनि जी म.सा. ने शुक्रवार को धर्मसभा में कहा कि हमारा जीवन तभी आदर्श बन सकता है जब हम सही मार्गदर्शन अपनाएँ और उसे अपने आचरण में उतारें। सही दिशा में प्रयास करने से ही जीवन में प्रगति और सफलता प्राप्त होती है। मानवता का सबसे बड़ा धर्म है इंसान के काम आना। हमें बिना स्वार्थ के जरूरतमंद की सहायता करनी चाहिए और अपने जीवन में सेवा, करुणा और सद्भाव को स्थान देना चाहिए। श्री रविन्द्र मुनि जी ने कहा कि मानवता के काम आना ही सच्ची इंसानियत है। जरूरतमंद के लिए अपने हाथ मदद के लिए बढ़ाना और समाज में प्रेम एवं भाईचारे का वातावरण बनाना ही जीवन का वास्तविक उद्धेश्य है। केंद्र अध्यक्ष निर्मल पोखरना ने बताया कि आगामी 14 अगस्त को महासती शील कुंवर जी म.सा. का जन्म जयंती सामयिक दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इस अवसर पर विशेष सामयिक, धार्मिक प्रवचन और सेवा कार्यों का आयोजन किया जाएगा।