इस विषय पर श्री मेवाड़ ने कहा कि “ऐसा प्रतीत होता है कि एनसीईआरटी में इतिहास लेखन का उद्देश्य छात्रों को सटीक जानकारी देने के बजाय, भारत के स्वाभिमानी क्षेत्रों के गौरवशाली इतिहास को विकृत करना बन गया है। पहले मेवाड़ को अंग्रेजों के अधीन बताया गया, और अब उसी पृष्ठ पर मराठा साम्राज्य के अंतर्गत दिखाया गया है। आखिर इन ‘शिक्षाविदों’ को कौन शिक्षित करेगा?” “क्या वे यह नहीं जानते कि मेवाड़ ने सदियों तक स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी, न केवल मुगलों के विरुद्ध, बल्कि किसी भी बाहरी हस्तक्षेप के विरुद्ध अपना स्वत्व और स्वाभिमान बनाए रखा? बप्पा रावल और उनके वंशजों का बलिदान कोई कल्पना नहीं, बल्कि ऐतिहासिक सत्य है।”
श्री विश्वराज सिंह मेवाड़ ने इस मुद्दे पर शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी से तुरंत सुधार की मांग की है तथा आग्रह किया है कि इतिहास जैसे संवेदनशील विषय को राजनीतिक या क्षेत्रीय पूर्वग्रह से नहीं, बल्कि तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने कहा कि “इतिहास सिर्फ़ एक विषय नहीं है, यह हमारी आत्मा का आईना है। यदि इसे बार-बार विकृत किया गया, तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भ्रमित रहेंगी और अपना वास्तविक सांस्कृतिक उत्तराधिकार कभी नहीं जान पाएंगी।”