(प्रतीक जैन)
खेरवाड़ा, सावन माह में खेरवाड़ा स्थित श्रीराम मंदिर के दिव्य प्रांगण में सत्संग भवन में आयोजित 15 दिवसीय श्रीराम कथा का सातवां दिवस अत्यंत ही भावविभोर करने वाला रहा। इस अवसर पर राम मंदिर के महाराज द्वारा राम-सीता स्वयंवर प्रसंग का हृदयस्पर्शी एवं रोचक वर्णन किया गया। कथा के माध्यम से भावों की अमृतवर्षा से जनसमूह श्रद्धा-सागर में अवगाहित हो गया। ऋषि विश्वामित्र के संकेत पर श्रीराम ने गुरु चरणों में प्रणाम कर धनुष को सहज भाव से उठाया, प्रत्यंचा चढ़ाई और भंग कर दिया। इस विलक्षण दृश्य को देख जनसभा स्तब्ध रह गई और देवी सीता ने श्रीराम के गले में वरमाला डालकर स्वयं को अर्पित किया।
महाराज द्वारा रामचरितमानस की चौपाइयों का संगीतमय रागों में आलोकिक प्रस्तुतीकरण किया गया, जिसने श्रोताओं को भक्तिरस में सराबोर कर दिया। कथा की रसमयता उस क्षण चरम पर पहुँच गई जब दो बालिकाओं ने राम-सीता रूप धारण कर विवाह का प्रतीकात्मक अभिनय किया और एक-दूसरे को माला पहनाई। इस दृश्य ने श्रद्धालुओं के हृदय को भाव-विभोर कर दिया। पूरा वातावरण “जय श्रीराम” के घोष, पुष्पवर्षा एवं भक्तिपूर्ण गीतों से गूँज उठा। मातृशक्ति में कथा को लेकर अद्वितीय उत्साह एवं श्रद्धा का संचार देखा जा रहा है।
यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक चेतना का विस्तार कर रहा है, अपितु समाज को सांस्कृतिक मूल्यों से भी जोड़ने का कार्य कर रहा है। श्रीराम विवाह प्रसंग ने जनमानस के अंतर्मन में भक्ति, श्रद्धा व आस्था की ज्योति प्रज्वलित कर दी है। इस अवसर पर कस्बे एवं आसपास के गांवों से सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।