युवा रचनाकारों ने छोड़ी सृजनधर्मिता की अमिट छाप

युगधारा युवा साहित्य महोत्सव 2025
उदयपुर, 14 जुलाई। राजस्थान साहित्य अकादमी एवं युगधारा साहित्यिक सांस्कृतिक एवं वैचारिक मंच उदयपुर की संयुक्त सहभागिता में अकादमी सभागार में युवाओं में साहित्य के प्रति अनुराग एवं चेतना जाग्रत करने एवं उनकी प्रतिभा को सुदृढ़ मंच प्रदान करने के उद्देश्य से रविवार को एक दिवसीय युगधारा युवा साहित्य महोत्सव का आयोजन किया गया। तीन सत्रों में आयोजित कार्यक्रम में युवा रचनाकारों ने अपनी सृजनधर्मिता की अमिट छाप छोड़ी।
युगधारा संस्था के संस्थापक ज्योतिपुंज ने बताया कि उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त प्राचार्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ चन्द्रकांता बंसल रहे। अध्यक्षता युगधारा अध्यक्ष किरण बाला किरन ने की। विशिष्ट अतिथि डॉ नरेंद्रपाल जैन, कवि गीतकार एवं लघुकथाकर थे। राजस्थान साहित्य अकादमी से रामदयाल मेहरा पुस्तकालयाध्यक्ष एवं वरिष्ठ कवि एवं गीतकार मंच पर उपस्थित रहे। डॉ बंसल ने हिंदी साहित्य की काव्य परंपरा पर सारगर्भित मुख्य वक्तव्य के माध्यम से सदन को संबोधित किया। पश्चात् प्रथम सत्र में हिंदी भाषा के कवियों द्वारा छंदबद्ध एवं छंदमुक्त रचनाओं का पाठ किया। इस सत्र का संचालन डॉ सिम्मी सिंह एवं दीपा पंत शीतल ने किया।
उपाध्यक्ष प्रकाश तातेड़ जी ने अवगत कराया कि द्वितीय सत्र एवं समापन सत्र के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ सुरेश चंद्र सालवी थे, जिन्होंने राजस्थानी साहित्य में काव्य परंपरा पर ज्ञानवर्धक वक्तव्य प्रदान किया। अध्यक्षता राजस्थानी के आगीवाण कवि एवं युगधारा के पूर्व अध्यक्ष पुरूषोत्तम पालीवाल रहे। विशिष्ट अतिथि ओज के कवि हिम्मत सिंह उज्ज्वल रहे। वागड़ के काव्य साहित्य पर डॉ नरेंद्रपाल जैन ने वक्तव्य प्रस्तुत किया। पश्चात् राजस्थानी के कवियों ने मातृभाषा में छंदबद्ध एवं छंदमुक्त रचनाओं को प्रस्तुत किया। महासचिव डॉ सिम्मी सिंह ने कहा कि द्वितीय सत्र का संचालन जेठानंद पंवार एवं डॉ प्रियंका भट्ट ने किया। आयोजन में उदयपुर, बाड़मेर, सिरोही, अजमेर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर एवं अन्य जिलों से 40 से अधिक युवा कवियों ने जोश एवं उत्साह के साथ अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम पूर्णरूपेण युवाओं की सृजनधर्मिता को समर्पित रहा।सभी युवा रचनाकारों को उपरणा ओढ़ाकर प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम में कई साहित्यकारों ने अपनी गरिमामय उपस्थिति प्रदान की। अशोक जैन मंथन, श्याम मठपाल, लोकेश चौबीसा, विजय कुमार निष्काम, डॉ शीतल श्रीमाली, अरुण त्रिपाठी, हेमेंद्र जानी, कृष्णअर्जुन पार्थभक्ति, नंदकिशोर अखिलेश, बृजराज जगावत, मनमोहन मधुकर, श्रेणीदान चारण, राजेश मेहता, इंदिरा शर्मा, गजेन्द्र नाथ भट्ट शकुंतला सोनी सहित शहर के 50 से अधिक गणमान्य साहित्यकार उपस्थित रहे।

By Udaipurviews

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