उदयपुर। एनआईसीसी की संस्थापक डॉ. वीटी छाबड़ा ने योग गुरू भावना के साथ एमआईसीसी में अष्टांग योग की नियमित कक्षायें प्रारम्भ की है।
इसकी जानकारी देते हुए डॉ.स्वीटी छाबड़ा ने बताया कि योग क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिससे कई असाध्य बीमारियां भी चन्द दिनों में ठीक हो सकती है। अगर आप योग और योगासनों को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना कर उका नियमित अभ्यास करें।
इस दौरान योग गुरू भावना जैन ने बताया कि योग का सीधा और साधारण सा अर्थ होता है जोडऩा। योग और ध्यान कोई भारी काम नहीं है जिसे करने के लिए हमें कोई पूर्व तयारी या मन बनाना पड़ता है। योग का मतलब तो जुडऩा या जोडऩा तो है ही और ध्यान भी इसी तरह का है। कोई भी काम आप ध्यान से कर रहे हैं तो वह भी एक तरह का ध्यान ही है। आप भोजन कर रहे हैं। आपका ध्यान भोजन में ही है तो वह भी ध्यान ही है। स्वस्थ जीवन के लिए अपने को हमेंशा पांच तत्वों का ध्यान होना जरूरी है। पहला तनाव रहित जीवन। अगर आपको स्वस्थ रहना है तो हमेंशा तनाव मुक्त जीवन जीएं। दूसरा ऑक्सीजन। जीवन को चलाने के लिए ऑक्सीजन सबसे जरूरी तत्व है, इसके बिना जीवन समाप्त हो जाता है। तीसरा पानी। पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसलिए समय- समय पर पानी पीते रहना चाहिये। चौथा आहार। स्वस्थ जीवन जीने के लिए हमें आहार का खास खयाल रखना जरूरी है। क्या खाना है, क्या नहीं, कब खाना है, कब नहीं खाना है इसका भी विशेष ध्यान हमें रखना चाहिये और पांचवा तत्व है विहार। हमें घमने- फिरने का भी विशेष ध्यान रखना चाहिये। भोजन करने के बाद घूमना जरूरी होता है। इससे भोजन को पचाने में मदद मिलती है।
इस दौरान योग गुरू अविचल गांधी ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए बताया कि उन्हें 2019 में होंठों के अन्दर एक गांठ हो गई। पहले हल्का- हल्का दर्द होता था लेकिन धीरे- धीरे वह बढ़ती गई। समस्या यह थी कि उससे जो लार बनती थी वह बाहर नहीं निकल कर उसी गांठ में ही समा जाती थी, जिससे गांइ का आकार लगातार बढ़ता रहा। डॉक्टर को चैक करवाया। उन्होंने ऑपरेशन की सलाह दी। ऑपरेशन भी करवा दिया। लेकिन लगभग डेढ़ माह बाद फिर से वह गांठ उठना शुरू हो गई। दुबारा डॉक्टर से चैकअप करवाया। उन्होंने फिर से ऑपरेशन की सलाह दी। ऑपरेशन करवाया। लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से वही समया हो गई। यूंकि उस समय कोरोना काल चल रहा था। समय भी मिलता था। घर पर बैठे- बैठे यू ट्यूब, इंस्ट्राग्राम और कई सारी सोश्याल साईट्स पर इस बीमारी का इलाज ढूंढा। इसमें सबसे अच्छा इलाज मिला योग और योगसानों का। उन्होंने घर बैठे ही विभिन्न तरह के योगसानों का अभ्यास किया। कुछ ही समय में वह बीमारी ठीक हो गई। आज सन 2025 चल रहा है। 2019 के बाद वह बीमारी मेरे होठों के बीच फिर से नहीं हुई। उन्होंने कहा कि शरीर में जो भी बीमारियां होती है वह कहीं न कहीं रक्त संचार बरार नहीं होने या किसी वजह से किसी खास जगह पर रक्त रूकने की वजह से होती है। योगासान करने से रक्त संचार करने वाली उनकी सारी नसें खुल गई और आज वह स्वस्थ हैं।
अष्टांग योग से होगी अनेक बीमारियां दूर
