राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 12 नवम्बर को

जयपुर, 13 अक्टूबर। न्यायालयों में सालों से लंबित मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2022 की चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 12 नवम्बर को किया जाएगा। लोक अदालत के माध्यम से राजीनामा योग्य सभी प्रकार के दीवानी मामले, राजस्व और फौजदारी मामले और विवाद निपटाए जाएंगे।
प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि लोक अदालत के माध्यम से श्रम विवाद, मोटर दुर्घटना विवाद, फसल बीमा संबंधी विवाद तथा जन उपयोगी सेवाओं संबंधी मामलों की सुनवाई कर निराकरण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार नाबार्ड , सहकारी बैंक तथा ग्रामीण बैंकों से संबंधित विवादों को भी सम्मिलित किया गया है। उन्होंने बताया कि  सामान्य पद्द्ति के साथ-साथ डिजिटल प्लेटफार्म RSLSA-22 का भी ऑनलाइन प्री-काउन्सलिंग आयोजित करने तथा अन्य कार्यवाहियों में व्यापक रूप से किया जाएगा। प्लेटफार्म पर सीधे ही अथवा रालसा की वेबसाइट www.rlsa.gov.in के जरिये ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। साथ ही कोई भी पक्षकार अथवा अधिवक्ता मोबाइल एप ‘न्याय रो साथी’ के माध्यम से अपने प्रकरण को राष्ट्रीय लोक अदालत में रैफर करने के लिए आवेदन भी कर सकता है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान श्रम विभाग द्वारा श्रमिकों के पंजीकरण तथा पंजीकृत श्रमिकों के कल्याण के लिए चलाई जा रही राज्य सरकार की योजनाओं का मौके पर लाभ प्रदान करने के लिए भी कैम्प का आयोजन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय लोक अदालत में स्वयं या संबंधित के अधिवक्ता के माध्यम से अपने केसों के समाधान के लिए आवेदन किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति का कोई मामला न्यायालय में लंबित है तो इस राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से उसका निस्तारण कर सकता है। लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारों की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है। इससे शीघ्र व सुलभ न्याय, कोई अपील नहीं, अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं।
लोक अदालत में सुनाए गए फैसले की भी उतनी ही अहमियत है जितनी सामान्य अदालत में सुनाए गए फैसले की होती है। लोक अदालत में सुनाए गए फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं की जा सकती। लोक अदालत में सस्ता और सुलभ न्याय मिलता है। राष्ट्रीय लोक अदालतों में ना तो किसी पक्ष की हार होती है और ना ही जीत बल्कि दोनों पक्षों की आपसी सहमति से विवादों का समाधान करवाया जाता है।
By Udaipurviews

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