सर्वत्र कलह की अग्नि जल रही-साध्वी संयम ज्योति

उदयपुर। समता मूर्ति साध्वी जयप्रभाश्री की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयमज्योति ने कहा कि सर्वत्र कलह की अग्नि जल रही है। परिवार, समाज और देश अशांत बने हुए है।
वे आज दादाबाड़ी में चल रहे चातुर्मास में प्रवचन सभा में बोल रही थी। साध्वी ने कहा कि व्यक्ति स्वयं को सहीं मानता है। उसकी इच्छा रहती है सब मेरी ही बात मानें, सबको मेरी बात माननी ही चाहिए। बात नही माने जाने पर मन बैचेन होता है, मन में खटपट चलती है, शब्दों से व्यक्त होती है, हाथापाई हो जाती है। पाई है। किसी की जबान चलती है किसी के हाथ चलते है, भयंकर कलह हो जाता है।
साध्वी ने कहा कि कलह से बचने के लिए तीन मुख्य उपाय है। प्रथम अपने पुण्य को देखो, फिर कुछ बोलो किसी को सलाह दो आपके यश, नाम, कर्म का उदय होगा। आदेय नाम कर्म का उदय होगा तो ही बात मानी जायेगी। आवेश में नही आये।
दूसरा सामने वाले की पात्रता, योग्यता देखकर ही अपनी बात रखनी चाहिए। योग्यता के अभाव में कलह ही होगा। तीसरा, अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर बात नही रखनी चाहिए। अधिकार क्षेत्र के बाहर बात रखने पर उस पर वजन नहीं आएगा फलस्वरूप जीवन में अशांति आयेगी। साध्वी संयम साक्षी ने कहा कि हम पुण्यशाली है। हमारा जन्म विश्व विजेताओं के देश में नहीं, आत्म- विजेताओं के देश में हुआ है। हम उनके जीवन से प्रेरणा लेकर आत्म विजेता बन सकते हैं।

By Udaipurviews

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