– जयपुर के विद्याधर नगर मैदान में जयपुर जिले के लाखों बच्चे व अभिभावक होंगे
– तीन मुद्दों पर करेंगे बाल संसद में फैसला ।
– गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होगी बाल संसद
उदयपुर। चुनावी साल में जहां सभी समाज वर्ग अपनी ताकत का अहसास कराने हेतु विद्याधर नगर मैदान या मानसरोवर वीटी रोड मैदान में रैली या महापंचायत कर सरकारों व राजतीतिक दलों का ध्यानाकर्षण कर अपनी बात मनवाते हैं उसी तर्ज पर गैर सरकारी स्कूलों के सबसे बड़े संगठन स्कूल शिक्षा परिवार राजस्थान द्वारा 7 अक्टूबर 23 शनिवार को विद्याधर नगर मैदान में लगभग एक लाख बच्चों के साथ एक बाल संसद का आयोजन किया जा रहा है।
स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि अभिभावक – टैक्स देते हैं तथा सरकार द्वारा स्कूली बच्चों के लिए बनाई जाने वाली योजनाएँ भी उसी टैक्स से बनती है। तो सभी योजनाओं में सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों को समान भागीदारी मिलनी चाहिए परंतु विगत कुछ सालों में देखने में आया है कि चाहे केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार वह गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ भेदभाव करती है।
शर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित 22 छात्रवृत्तियां हैं जिनमें प्राईवेट स्कूलों के बच्चों को लाभ नहीं मिलता तथा राज्य सरकार की स्कूली बच्चों के लिए 9 शैक्षणिक एवं 22 स्कॉलरशिप योजनाएं हैं जिनमें से सिर्फ 5 का लाभ गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों को मिलता है, बाकी का नहीं। इस प्रकार कुल 52 सरकारी योजनाओं में से केवल 05 योजनाओं का फायदा गैर सरकारी को मिलता है जो न्यायोचित नहीं माना जा सकता।
शर्मा ने बताया कि RTE एक्ट 2009 के बाद कक्षा-8 तक को शिक्षा निःशुल्क एवं अनिवार्य ” होने के साथ ही बच्चों का मूलभूत अधिकार एवं सरकारों का संवैधानिक दायित्व हो गई है. ऐसी स्थिति में सरकार का बच्चों के साथ सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में अध्ययन करने के आधार पर भेदभाव समझ से परे है।
शर्मा ने बताया कि बाल संसद में हमने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, शिक्षा विभाग के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एवं राजस्थान विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर व प्रमुख समाचार पत्रों के संपादक स्तर के प्रतिनिधियों को शामिल कर विशेषज्ञता एवं वैधानिकता का ध्यान रखा है।
शर्मा ने बताया कि बाल संसद में रखे जाने वाले तीनों सवालों को हम पहले से ही बाल संसद के पैनल को भेज कर उन्हें पूरी तैयारी के साथ आने का निवेदन किया है ताकि मौके पर निर्णय लेने में कोई दिक्कत न हो।
शर्मा ने बताया कि संसद में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया है ताकि बाल संसद में पारित प्रस्ताव तत्काल उन्हें सौंपते हुए उनके घोषणा पत्रों में जोड़ने को कहा जा सके। बाल संसद का सोशल मीडिया पर सीधा प्रसारण कर राज्य भर के अन्य स्कूलों को जोड़ने तथा संवाद
करने की भी योजना है ताकि कार्यक्रम में सीधे शामिल नहीं होने वाले लगभग 60 लाख बच्चों तक भी पहुंचा जा सके।
कार्यक्रम की अनुमति एवं अन्य सभी औपचारिकताएं पूरी कर स्कूल दर स्कूल निमंत्रण की तैयारी की जा रही है। बाल संसद में जयपुर जिले के सभी गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों, अभिभावकों व शिक्षकों को आमंत्रित किया गया है।
शर्मा ने बताया कि निम्न तीन संकल्पों पर बाल संसद में संकल्प पारित किया जायेगा, यथा-
1. क्या भारतीय सविधान में ऐसा कोई प्रावधान है जो संबंधित सरकारों को स्कूली बच्चों के लिए योजनाएँ बनाते वक्त उनमें सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत होने के आधार पर भेदभाव करने का अधिकार देता है?
2. यदि कोई प्रावधान नहीं है तो सरकारों की भेदभाव वाली योजनाओं में गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित की जाने का संकल्प सर्वसम्मति से पारित कर दोनों दलों व सरकारों को भेजा जाए।
3. शिक्षा सेवा है, व्यवसाय नहीं तो सरकार भी इससे चार्ज वसूलते वक्त उसी तरह बर्ताव करे क्योंकि अंतिम भार बच्चे पर ही आता है। अतः सरकारों के शिक्षा संबंधी शुल्क वसूलते वक्त सेवा कार्य को ध्यान में रखने की अपील करें।
7 अक्टूबर शनिवार को होगी बाल संसद
