जनुभाई ने मेवाड़ में शिक्षा के माध्यम से आजादी की अलख जगाई – प्रो. सारंगदेवोत

संस्थापक मनीषी पं. नागर की 26वीं पुण्यतिथि पर किया नमन
उदयपुर 16 अगस्त / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संस्थापक मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर की 26वीं पुण्यतिथि पर प्रतापनगर परिसर में स्थापित आदमकद प्रतिमा पर कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, पीजी डीन प्रो. जीएम मेहता, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, डॉ. भवानी पाल सिंह राठौड़, डॉ. पारस जैन, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. युवराज सिंह, प्रो. मंजु मांडोत, पार्षद गिरिश भारती  ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हे नमन किया। इस अवसर पर डॉ. कुल शेखर व्यास, कृष्णकांत कुमावत द्वारा सम्पादित ‘‘  राजस्थान विद्यापीठ के जनक मनीषी पं. जनार्दनराय नागर ’’ पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर आईटी सभागार में जीवन – मृत्यु एवं जीवन का शाश्वत प्रवाह: एक दृष्टि पं. जनार्दनराय नागर ’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस.़ सारंगदेवोत ने कहा कि विद्यापीठ का इतिहास संघर्षो भरा रहा है आजादी के 10 वर्ष पूर्व 1937 में संस्थापक मनीषी पं. जनार्दनराय नागर ने मेवाड़ में शिक्षा के माध्यम से देश में राष्ट्रीयता की अलख जगाने के उद्देश्य से तीन रूपये, पांच कार्यकर्ता एवं लालटेन के माध्य से अपना कार्य प्रारंभ किया।  गुणवत्ता शिक्षण दीक्षण कार्यो के कारण 50 वर्ष बाद 1987 में संस्था को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। जनुभाई ने अपने कार्यकाल के दौरान 50 विभागोें की स्थापना की। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि आत्मा कभी मरती नहीं, व्यक्ति का शरीर मरता है। व्यक्ति पंच तत्वों से मिलकर बनता है और वही उसी में विलिन हो जाता है। उन्होने कहा कि जनुभाई शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। उन्होने  भगवत गीता का हवाला देते हुए कहा कि व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है। साथ ही शिक्षा के बिना मनुष्य पशु तुल्य हैं। उन्होने जन्म और मृत्यु को शाश्वत सत्य बताया।  हर मजहब ने अपने अपने तरीके से इसकी व्याख्या की गई है। जो व्यक्ति जन्म लेगा उसकी मृत्यु अवश्य ही है। उन्होने कहा कि स्वर्ग और  नरक यहीं है पर उसे देखने का नजरिया होना चाहिए।
मुख्य अतिथि कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर पं. नागर शैक्षिक विकास व लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पक्षधर थे। उन्होंने विद्यापीठ की स्थापना उन कठिन परिस्थितियों में की जब शिक्षा देने कार्य को राजद्रोह माना जाता था, मेवाड़ क्षेत्र में अशिक्षा का अंधकार था। उनके प्रयासों से ही मेवाड़ के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार हुआ। आज विद्यापीठ देश ही नहीं, विदेश में भी अपना परचम फहरा रहीं है, यह सब जनुभाई की दूरदृष्टि का ही परिणाम है।
संचालन डॉ. यज्ञ आमेटा ने किया जबकि आभार रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली ने दिया।
इस अवसर पर डॉ. अवनीश नागर, डॉ. हीना खान, डॉ. नीरू राठौड, डॉ. गौरव गर्ग, चितरंजन नागदा, डॉ. लाला राम जाट, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, भगवती लाल सोनी, डॉ. संजीव राजपुरोहित, उमराव सिंह राणावत, जितेन्द्र सिंह चौहान, डॉ. ओम पारीक, डॉ. विजय दलाल,  सहित कार्यकर्ताओं ने जनुभाई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हे याद किया।
विद्यापीठ के सभी परिसरों में हुआ पुष्पांजलि कार्यक्रम:- संस्थापक मनीषी पं. जनार्दनराय नागर  26वीं पुण्यतिथि पर राजस्थान विद्यापीठ के श्रमजीवी महाविद्यालय, विधि महाविद्यालय, विज्ञान संकाय, प्रबंध अध्ययन संस्थान, उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क, लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, होम्योपेथी चिकित्सा महाविद्यालय, फिजियोथेरेपी चिकित्सा महाविद्यालय, स्कूल ऑफ एग्रील्चर साईंसेस, उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क, जनभारती सामुदायिक केन्द्र साकरोदा, कानपुर, बेदला, साकरोदा, नाई, टीडी, खरपीणा, झाडोल,  राजस्थान विद्यापीठ कुल सहित समस्त संकायों में पुष्पांजलि सभा का आयोजन कर जनुभाई को याद किया।

By Udaipurviews

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