तीन दिवसीय आयमबील का तेला आज से
– आयड़ तीर्थ पर 53 श्रावक-श्राविकाओं का सामूहिक आयड़ पंच तीर्थ तप पारणा कराया
उदयपुर 17 जुलाई। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में सोमवार को विशेष प्रवचन हुए । महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में दोनों साध्वियों के सान्निध्य में 53 श्रावक-श्राविकाओं को आयड़ पंच तीर्थ तप का सामूहिक पारणा कराया गया एवं उनका सभी धर्मावलम्बियों का बहुमान किया गया। उन्होनें बताया कि 18 जुलाई को आयड़ तीर्थ पर तीन दिवसीय आयमबील के तेला कराया जाएगा उसके बाद 21 जुलाई को पद्मावती माता का जाप एवं सामूहिक एकासना किया जाएगा।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने सम्यक्तव के विषय में बताया कि शाक्तिभद्र के जीव को पूर्वभन अर्थात् संगम के भव में ऐसे ही विचार आये मुनि भगवंत को -देखकर। वह प्रतिदिन जंगल में बकरी चराने जाता था। वहाँ मुनि भगवंत को कायोत्सर्ग यानि ध्यान में देखकर उसका मन अत्यंत हर्षित होता था। मुनि भगवंत को देखकर उसे यही विचार आता कि इनका जीवन कितना उत्तम है? इनके पास कोई सुख की सामग्रियाँ नहीं हैं फिर भी कैसी अपूर्व प्रसन्नता है। इनकी प्रशांत मुख मुद्रा बताती है कि इनका मन अनुपम प्रशमरस में रंगा हुआ है। मुनि भगवंत के प्रति उसके मन में पूज्यभाव प्रगट हुआ। उस पूज्य भाव के कारण जब गुरु भगवंत उसके घर पधारे तब उसका मन नाच उठा। जो खीर उसने रो-रोकर प्राप्त की थी उस खीर को बहोराने का, भाबोल्लास उसके हृदय में जागृत हुआ। परन्तु हमको तो बस इतना ही दिखाई देता है कि शालिभद्र ने पूर्वभव में खीर का दान दिया इसलिए उसके यहां प्रतिदिन देवलोक से 99 पेटियां आती थी। लेकिन वास्तव में उन्होंने पूर्व भव में जिन गुणों का दर्शन किया, उसी का यह परिणाम था। वास्तव मेँ “जब हमारा गुरु भगवंत के प्रति पूज्य भाव प्रगर होता है, आदर भाव प्रगट होता है, तब सर्वस्व गुरु चरणों में समर्पण करने का भावोल्लास पैदा होता है।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।
गुरु भगवन्तों के प्रति आदरभाव प्रगट करें : साध्वी वैराग्यपूर्णाश्री
