उदयपुर, 18 अप्रेल। विश्व विरासत दिवस के अवसर पर मंगलवार को प्राचीन धरोहर के सांस्कृतिक महत्व तथा ऐतिहासिक गौरव विषय पर जगत के प्रसिद्ध अंबिका मंदिर में परिचर्चा तथा प्रत्यक्ष अवलोकन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ख्यातनाम चित्रकार चेतन औदिच्य ने क्षेत्र के शिक्षाविदों तथा विद्यार्थियों के बीच दक्षिण राजस्थान के खजुराहो कहे जाने वाले जगत अंबिका मंदिर के वैशिष्ठ्य पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि जगत का स्थापत्य और मूर्ति शिल्प भारत के उन गिने-चुने मंदिरों में गिना जाता है जिन पर कोई आक्रमण नहीं हुआ है तथा वहां की कला एक हजार साल से भी अधिक समय से अपनी मौलिक अवस्था में मौजूद है। इस अवसर पर विश्व विरासत की महत्ता पर प्राध्यापक सत्यनारायण वैष्णव, देवी सिंह सारंगदेवोत, केके पालीवाल, भूपेंद्र पांचाल, हिमांशु बारोट तथा भगवती सालवी ने अपने विचार रखे।
परिचर्चा में अनेक विद्यार्थियों ने स्थापत्य-शिल्प पर अपनी जिज्ञासाओं को विद्वानों के सामने रखा जिस पर सत्यनारायण वैष्णव ने कहा कि जगत का यह मंदिर जीवन के सांगोपांग पक्षों पर आ नायाब मूर्तिशिल्पों का खजाना है,स्थापत्य कला के विविध कोणों को लेकर इस मंदिर में कलात्मक काम किया गया है। देवीसिंह सारंगदेवोत ने विश्व विरासत दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला।
मेवाड़ के खजुराहो जगत मंदिर में मनाया विश्व विरासत दिवस
