एलआईसी, बैंक अपनी शर्तें हिंदी में क्यों नहीं लिखते – न्यायाधिकारी जैन
उदयपुर, 14 सितम्बर। राजभाषा हिंदी को सिरमौर बनाने के लिए हिंदी दिवस पर 14 सितम्बर को उदयपुर सम्भाग में श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा में साहित्य मण्डल की ओर से तीन दिवसीय कार्यक्रम का आरंभ हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के संकल्प के साथ हुआ। अतिथियों ने कहा कि हिंदी भारत का दर्पण है, सभी राजभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का संकल्प लें।
तीन दिवसीय आयोजन के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि असम्भव कुछ भी नहीं है, हृदय की गहराइयों से किये गए प्रयास हिंदी को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित करेंगे। उन्होंने रोजगार परक पाठ्यक्रमों को हिंदी में लाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी की आवश्यकता रोजगार से जुड़ गई है, लेकिन हिंदी के प्रति हमारी निष्ठा अटूट होनी चाहिए।
विशिष्ट अतिथि भीलवाड़ा एमएसीटी कोर्ट की जज बीना जैन ने कहा कि एलआईसी, बैंक एग्रीमेंट, वाहन ट्रांसफर, रजिस्ट्रेशन आदि की शर्तें अंग्रेजी में ही हैं, आम आदमी कितनी अंग्रेजी समझता है। जहां हिंदी में बेचने में लाभ है वहां विवरण हिंदी में होता है, और जहां कम्पनियों को हिंदी लिखने से नुकसान है, वहां अंग्रेजी काम में लेते हैं। सरकार इन शर्तों को हिंदी में और सुपाठ्य आकार में लागू करवाये।
राजस्थान विद्यापीठ के कुलाधिपति बलवंत राय जानी ने इसे हिंदी का कुम्भ बताते हुए हिंदी और हिंदी ग्रंथों की श्रेष्ठता पर विचार रखे।
सरस्वती आराधना, प्रभु श्रीनाथजी के वंदन, राष्ट्रभाषा गान व कत्थक कलाकारों द्वारा शिव के अघोर स्वरूप को समर्पित मनोहारी प्रस्तुति के साथ शुरू हुए उद्घाटन सत्र में साहित्य मण्डल के प्रधानमंत्री श्यामप्रकाश देवपुरा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था का परिचय दिया। भरतपुर के हरिओम हरि तथा यशपाल ने हिदी हुंकृति की प्रस्तुति दी।
साहित्य मण्डल के संस्थापक स्व. भगवतीप्रसाद देवपुरा के हिदी के प्रति योगदान को याद करते हुए अमर सिंह वधान, पंडित मदनमोहन शर्मा आदि वक्ताओं ने साल में एक दिन हिंदी दिवस मनाने के बजाय प्रतिदिन हिंदी दिवस की आवश्यकता बताई। हिंदी हमारी संस्कृति है।
कार्यक्रम में जयपुर के विट्ठल पारीक ने हिंदी आंदोलन एवं साहित्य मण्डल विषय पर, भरतपुर के डॉ अशोक कुमार गुप्ता ने हिंदी कल-आज-कल विषय पर तथा पुणे की डॉ सुषमा विश्वनाथ ने अमृत महोत्सव – राष्ट्रभाषा संकल्प विषय पर पत्रवाचन किया।
कार्यक्रम के पहले दिन साहित्य मण्डल की ओर से अहमदाबाद के पद्मश्री विष्णु पण्ड्या, राजकोट के डॉ. बलवंत शांतिलाल जानी, दिल्ली के प्रो. सुरेश ऋतुपर्ण तथा अमलनेर के डॉ. सुरेश माहेश्वरी को साहित्य वाग्विभूति की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।
इसी तरह, डॉ. दाऊदयाल गुप्ता स्मृति सम्मान एवं गीत सुधाकर रत्न सम्मान मुम्बई के पंडित सागर त्रिपाठी, जगन्नाथ प्रसाद शर्मा स्मृति सम्मान एवं हिन्दी भाषा प्रवर सम्मान जयपुर की डॉ दीपिका विजयवर्गीय, श्रीचंद योगी स्मृति सम्मान एवं कत्थक नृत्य प्रभा सम्मान दिल्ली की डॉ समीक्षा शर्मा, मनोहर कोठारी स्मृति सम्मान एवं हिन्दी साहित्य शिरोमणि सम्मान वाराणसी के डॉ उदयप्रताप सिंह, प्रयागराज के प्रो यासमीन सुलतान नकवी, मंगलौर के डॉ एस. ए. मंजुनाथ व कोलकाता के सुरेश चौधरी को प्रदान किया गया। इसी तरह, हिन्दी भाषा विभूषण सम्मान चित्रकूट के डॉ कमलेश थापक, भुवनेश्वर के शैलेंद्र कपिल, कानपुर डॉ अजयकुमार सिन्हा, गया के सच्चिदानंद प्रेमी व कानपुर की डॉ प्रमिला अवस्थी को प्रदान किया गया।
सम्पादक रत्न, समाजसेवा, पत्रकार प्रवर सम्मान कानपुर के डॉ प्रेमस्वरूप त्रिपाठी, बिलासपुर के मदनमोहन अग्रवाल, भिलाई के आरबी केसरवानी, उदयपुर के कौशल मूंदड़ा, नई दिल्ली के मनमोहन शर्मा ‘शरण’ व भिलाई की रूखमणी जामुर्या को प्रदान किया गया।
पहले दिन का रात्रिकालीन सत्र देश भर से आये कवियों की रचनाओं से सजा।
इससे पूर्व, सुबह जागरूकता यात्रा निकाली गई। बच्चों के साथ देश भर से आये हिंदी प्रेमियों ने गाजे बाजे के साथ हिंदी को जन जन और विश्व की भाषा बनाने का आह्वान किया।