साहित्यिक लेखन मानवता हितार्थ हो, न कि व्यक्तिगत हितार्थ – मनोज कुमार

जयपुर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की साहित्यिक संवाद पहल का आयोजन जयपुर के शिक्षा संकुल परिसर में स्थित समसा सभा भवन में हुआ। जिसमें दो पुस्तकों (महासंग्राम तक यात्रा एवं कौतुक ताना) का विमोचन एवं उन पर परिचर्चा की गयी।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज कुमार रहे। साथ ही व्यंग्य चित्रकार धर्मेंद्र कुमार ‘धकु’ एवं कवि याजवेंद्र यादव द्वारा क्रमशः अपनी पुस्तकों (कौतुक ताना एवं महासंग्राम तक यात्रा) के परिचय एवं प्रस्तावना पर प्रकाश डाला गया।

मुख्य वक्ता मनोज कुमार ने कहा अखिल भारतीय साहित्य परिषद का राष्ट्र के 600 से अधिक जिलों में अपनी गतिविधियों के माध्यम से साहित्यिक चेतना जागरण का प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि धर्मेंद्र कुमार जी ने व्यंगात्मक भावों को रेखाचित्रों में डालने की साहित्यिक विधा – व्यंग चित्र को पुनर्जीवन प्रदान किया है और याजवेंद्र जी पुस्तक को विश्व के सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत का सार बताया।

मानवता का ग्रंथ है गीता :

परिचर्चा दौरान मनोज कुमार ने महाभारत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाभारत मानवीय प्रवृत्तियों का संघर्ष है, प्रवृत्तियों के समन्वय का ग्रंथ है, संगठन एवं विघटन के परिणाम का संदेश देता है और इसमें सदैव नवीनता बनी रहती है। उन्होंने बताया कि महाभारत का सार श्री गीता जी एक धार्मिक ग्रंथ से बढ़कर मानवता का ग्रंथ है।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!