श्रावक-श्राविकाओं ने रखें उपवास किए सामायिक व पौषध 

– सांम्वत्सरी महापर्व पर 7.30 घंटे चला प्रवचन 

– क्षमापना आज

उदयपुर । अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्युषण पर्व के अंतिम दिन सम्वत्सरी महापर्व पर श्रावक-श्राविकाओं ने लगातार साढ़े सात घंटो तक प्रवचन श्रवण किया, ध्यान साधक मुनि सुरेश कुमार के सान्निध्य मे नन्हे बच्चों, युवाओं- युवतियों, कन्याओं, महिलाओं व प्रौठ जनों ने हजारो की संख्या में  उपवास, सामायिक व पौषध किए। तेरापंथ भवन में सम्वत्सरी आराधना कर रही विशाल जनमेदन को सम्बोधित करते हुए शासन श्री मुनि सुरेश कुमार ने कहा वर्षभर से अपने अतीत की पड़ताल करने सम्वत्सरी महापर्व आया है। इस दिन केवल उपवास ही नहीं करे, बल्कि अपनी चेतना को पावन बनाकर अतीत की समीक्षा करते हुए किसी के लिए पैर और हणा की गोठ बन गई हो तो उसे शुभ भावो को मन में उतार कर शल्य चिकित्सा अवश्य करें। मुनि प्रवर ने चंदनवाला, भगवान महावीर का केवल ज्ञान, मोक्ष गणधर, जैन धर्म के प्रभावक आचार्य पर उद्बोधन दिया । उन्होंने कहा – अगर आज मन सन्यासी ना हुआ तो सम्वत्सरी का मनाना अधुरा है। भगवान महावीर ने साढ़े बारह वर्ष की साधना कर निर्वाण को प्राप्त किया। महावीर के संदेश आज भी मानवता के पथ का उजाला बन रहा है ।  मुनि सम्बोध कुमार मेधांश ने अपने प्रेरणा उद्बोधन में कहा सन्वत्सरी एक साथ इतिहास, संस्कृतिप, परंपरा, को साथ बैठके सुनने का सुन्हरा अवसर है। उन्होने कहा हम जैन है, संवेदना हमारी आदत में हो, मन का कोई कोना द्वेष से सराबोर ना रहे। मुनि ने भगवान महावीर की साधना की श्रावक-श्राविकाओं को  प्रवचन यात्रा करवाते हुए, कहा जैनत्व का आदर्श है मेरी वजह से किसी का दिल ना दुखे किसी के आंख में आंसू ना हो। भगवान महावीर हर सांस में संवेदना को जी भर कर जीते थे, जरूरत है उस संम्वेदना को हम अपने आदशों मे जीए।

क्षमापना दिवस

आगत विगत वर्ष में जाने-अनजाने हुई भुलो के लिए आज दिनांक 1 सितम्बर को प्रात: 6.30 बजे समारोह पूर्वक क्षमायाचना की जायेगी

By Udaipurviews

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