संस्थापक जनुभाई की 111वीं जयंति पर किया नमन

जनुभाई के सपनों को पूरा करने का लिया संकल्प
पं. नागर भारतीय संस्कृति व परम्परा के मूर्धन्य शिल्पी – प्रो. सारंगदेवोत
जनुभाई ने श्रमजीवियों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा – गुर्जर

उदयपुर 16 जून / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संस्थापक मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर की 111वीं जयंति पर प्रतापनगर स्थित कुलपति सचिवालय के सभागार में ‘‘पंडित नागर – व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर आयोजित एक दिवसीय सगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस.़ सारंगदेवोत ने कहा कि मनीषी पं. नागर शाश्वत नैतिकता एवं आचार विचारों शिलालेख के शिल्पी थे जिन्होने राष्ट्रीय चिंतन के साथ एक ऐसी संस्था खड़ी की जिसका उद्देश्य भारत राष्ट्र के अभ्युदत के लिए संकल्प बद्ध आचार विचारों की क्रियांविति पर बल देते। भारतीय ज्ञान जिसका हमारे वेदों, उपनिषद्ो एवं आर्ष ग्रंथों में आज भी छिपा हुआ है जिसमें खोजकर नयी परिभाषा के साथ उल्लेखित करने की जरूरत है। उन्होने कहा कि जनुभाई युग दृष्टा थे, आज नयी शिक्षा नीति में मातृ भाषा हिन्दी में कार्य करने व इसे बढावा देने की बात की, लेकिन जनुभाई ने आजादी के 10 वर्ष पूर्व 1937 में हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना की जिसे बाद राजस्थान विद्यापीठ के नाम से जाना गया। जनुभाई बहुुमूखी प्रतिभा के धनी थे जिसमें सुप्रसिद्ध साहित्यकार, प्रबुद्ध चिंतक, समाज सुधारक, पत्रकार, कवि, शिक्षा शास्त्री, राजनेता, दार्शनिक के साथ श्रेष्ठ रचनाकार भी थे। वे शिक्षा को लोकतंत्र के लिए जरूरी मानते थे।
मुख्य अतिथि कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि पंडित नागर की सोच का ही परिणाम था कि वे शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को साक्षर एवं प्रबुद्ध नागरिक बनाते हुए जीविकोपार्जन के लिए तैयार करना है, लेकिन वास्तविक उद्देश्य मनुष्य को सभी पहलुओं से व्यापक बनाना एवं विकसित करना है। उन्होने कहा कि जनुभाई अपने आप में किसी पुरस्कार से कम नहीं थे। उन्होने संस्था की शुरूआत दिन भर काम करने वालों को पुनः शिक्षा की मुख्य धारा से जोडने के उद्देश्य से रात्रिकालीन श्रमजीवी कॉलेज की स्थापना की।
संचालन डॉ. प्रकाश शर्मा ने किया जबकि आभार रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच ने दिया।
आदमकद प्रतिमा पर किया नमन:-
संगोष्ठी से पूर्व प्रतापनगर परिसर में स्थापित जनुभाई की आदमकद प्रतिमा पर कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत , बीएल गुर्जर, डॉ. हेमशंकर दाधीच, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, स्पोटर््स बोर्ड के सचिव भवानीपाल सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया, साथ ही नगर निगम द्वारा फतहसागर की पाल पर दर्शक दीर्घा में स्थापित जनुभाई की प्रतिमा का दुग्धाभिषेक, माला, उपरणा व पुष्प अर्पित कर नमन किया।
इस अवसर पर प्रो. मंजू मांडोत, प्रो. अनिता शुक्ला, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. अवनीश नागर, डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. महेन्द्र सिह सोलंकी, डॉ. तरूण श्रीमाली, डॉ. हीना खान, डॉ. सुनिता मुर्डिया, कृष्णकांत कुमावम, बाल कृष्ण शुक्ला, चितरंजन नागदा, गोपाल नागर, बीएल श्रीमाली, डॉ. मानसिंह चुण्डावत, जितेन्द्र सिंह चौहान, डॉ. दिलीप चौधरी, समाजसेवी नासीर, सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर एवं कार्यकर्ताओं ने जनुभाई को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके द्वारा बताये मार्ग पर चलते हुए विद्यापीठ के उत्तरोत्तर विकास में सहयोग देने की शपथ ली।
विद्यापीठ के सभी परिसरों में की पुष्पांजलि:- संस्थापक मनीषी पं. जनार्दनराय नागर 111वीं जयंति राजस्थान विद्यापीठ के श्रमजीवी महाविद्यालय, लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, होम्योपेथी चिकित्सा महाविद्यालय, फिजियोथेरेपी चिकित्सा महाविद्यालय, स्कूल ऑफ एग्रील्चर साईंसेस, उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क, जनभारती सामुदायिक केन्द्र साकरोदा, कानपुर, बेदला, साकरोदा, नाई, टीडी, खरपीणा, झाडोल, राजस्थान विद्यापीठ कुल सहित समस्त संकायों में पुष्पांजलि सभा का आयोजन कर जनुभाई को याद किया।

By Udaipurviews

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