कीर्तिशेष बी.एस. गर्ग की स्मृति में
‘‘ हमारा ब्रहमाण्ड ’’ विषय पर व्याख्यानमाला का हुआ आयेाजन
भारत सम्पूर्ण विश्व का पितामह, – ज्ञान के आधार पर भारत विश्व गुरू
उदयपुर 30 मई / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक महाविद्यालय की ओर से सोमवार को कीर्तिशेष बी.एस. गर्ग की स्मृति में महाविद्यालय के सभागार में आयोजित ‘‘ हमारा ब्रहमाण्ड ’’ विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता प्रधानमंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डाॅ. ओ.पी. पाण्डेय ने कहा कि अतिंद्रीय ज्ञान से अंतः प्रज्ञा चक्षु के द्वारा ब्रहमाण्ड की मैपिंग कर सकते है जिसके साक्ष्य हमारे वेदो और उपनिषद्ों में वर्णित है। भारतीय मनीषियों ने न केवल पश्चिम को अंक विद्या प्रदान की है अपितु बीज गणित ज्यामिति से लेकर गति व गुरूत्वाकर्षण के नियम और प्रकाश के वेग की गणना भी भारतीयों की ही देन है। भारत सम्पूर्ण विश्व का पितामह है जिसका आधार भारतीय प्रज्ञा और भौगोलिक अवसंरचना के साथ साथ आधुनिक डीएनए तकनीकी है जिन्होने बताया है कि भारतीयों का विस्तार सम्पूर्ण विश्व में है।
उन्होने कहा कि हमारे ब्रहमाण्ड के रहस्य उनके आधुनिक पश्चिमी विज्ञान से जुडी धारणाओं को भारतीय यदुर्वेद और अर्थ वेद एवं उपनिषदों को तथ्यात्मक तुलना के विश्लेषणात्मक रूप में व्यक्त किया तथा कहा कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के आधुनिकतम टेलीस्कोप एक्सरे एवं गामा आॅब्जर्वेटरील जिन तथ्यों को अब विश्व के सामने रख रहे है वह हमारे वेदों में हजारो वर्षो से वर्णित है। हम पश्चिमी ज्ञान के अनुगामी बनकर रह गए है, जब हमारी वैभवशाली ज्ञान गंगा को हमने विस्मृत कर दिया है। हमें राम के चित्र को नहीं चरित्र को अपनाकर अपने पुरातन ज्ञान को आधुनिकता के साथ मिश्रित करके वर्तमान पीढी को सिखाने की आवश्यकता है। एक ब्रहमाण्ड में 9 खरब गैलेक्सी है, नासा ने अभी तक 7 ब्रहमाण्ड की ही खोज की है। वेदो में कहा गया है कि अनंत ब्रहमाण्ड है।
पाण्डे्य ने भारतीय रीति रिवाजों के पीछे छिपे वैज्ञानिक सिद्धांतों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सूर्य को जल चढाने के कलर थेरेपी, भारतीय संवत आधारित कैलंडर व पश्चिमी कैलेंडर के निर्माण की प्रक्रिया को बारीकी से बताया। उन्होने ब्रहमाण्ड की स्थिति विस्तार सौरमंडल आकाश गंगा के बनने और सूर्य के समाप्त हो जाने जैसी भौतिकी आधारित क्रियाओं को भी विस्तार समझाया।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि हमारी पृथ्वी सौर मंडल का एक हिस्सा है। ज्ञान के परिपूर्ण होने पर ही विज्ञान की परिपूर्णता आती है और विज्ञान की परिपूर्णता से प्रज्ञान की प्राप्ति होती है। हमें भारतीय ज्ञान को समझ कर उसे अपनाना होगा तभी हमार भ्रम टूटेगा और विश्व साहचर्य बढेगा।
भारतीय परम्परागत ज्ञान के इसी महत्ता के कारण नयी शिक्षा नीति 2020 में प्राचीन परम्पराओं और संस्कृति का समावेश किया गया है जिससे वर्तमान पीढी वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति कर प्रगति पथ पर अग्रसित हो सके।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने व्याख्यानमाला की जानकारी देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य छात्रा अध्यापको को इसके माध्यम से परम्परागत ज्ञान व नवीन जानकारियों से जोडने का है।
समारोह में विधि महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ. कला मुणेत, डीन प्रो. गजेन्द्र माथुर, डाॅ. रचना राठौड, डाॅ. बलिदान जैन, डाॅ. प्रेमलता, डाॅ. अमी राठौड, डाॅ. सुनिता मुर्डिया, डाॅ. अमिया गोस्वामी, डाॅ. अपर्णा श्रीवास्तव, डाॅ. राजन सूद सहित पंचायतन यूनिट के डीन, डायरेक्टर, संकाय सदस्य उपस्थित थे। संचालन डाॅ. पुनीत पण्ड्या ने किया।
समारेाह में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने प्रधानमंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डाॅ. ओ.पी. पाण्डेय का उपरणा, शाॅल, पगड़ी व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
अभिभूत हुए प्रो. पाण्डे्य:-
प्रो. पाण्डे्य को स्मृति चिन्ह के रूप में वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप को दिये जाने पर अभिभूत हो गए और उन्होने प्रताप को अपने सिर पर रख दिया।
50वीं तिलक आसान व्याख्यानमाला मंगलवार को:-
जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय की ओर से मंगलवार को प्रातः 11 बजे प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में 50वीं तिलक आसन व्याख्यानमाला का आयोजन किया जायेगा। कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने बताया कि मुख्य वक्ता पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डाॅ. ओ.पी. पाण्डेय भारत में शिक्षा की दशा एवं दिशा विषय पर अपना व्याख्यान देगे।