योग में हैं मानवीय मूल्यों व चारित्रिक उत्थान के भाव: प्रो. सारंगदेवोत

8वां विश्व योग दिवस हर्षोल्लास से मनाया, पूरा शहर हुआ योगमय
योग केवल आंतरिक पूर्णता ही नहीं अपितु पंच तत्वों के संतुलन की क्रिया भी: प्रो घोषाल
अग्निपथ योजना के माध्यम से देश सेवा में आगे आये युवा – प्रो. जॉनी
योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाये
योग, व्यायाम से हर रोग का ईलाज संभव ……..

उदयपुर 21 जून / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से आठवे विश्व योग दिवस के अवसर पर स्कूल ऑफ एग्रीेकल्चर साईंसेस के प्रांगण में आयोजित योग शिविर का शुभारंभ कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय जॉनी, कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, कुल प्रमुख बी.एल. गुर्जर, ले.कर्नल इन्द्रजीत सिंह घोषाल, रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच, डीन प्रो. गजेन्द्र माथुर द्वारा मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित व दीप प्रज्जवलित कर किया। योग शिविर में बड़ी संख्यॉ शरीक हुए एनसीसी केडेट्स, विद्यापीठ कार्यकर्ता, शहर के गणमान्य नागरिकों को योग गुरू डॉ. रोहित कुमावत द्वारा सभी कार्यकर्ताओं को प्राणायाम, अनुलोम विलोम, वज्रासन, चक्रासन, वक्रासन, हलासन, सर्वांगासन, पश्चिमोतान आसन, गोमुखासन, मत्यासन, उष्ट्रासन, ताडासन, पादहस्तासन, का करीब एक घंटे तक अभ्यास कराया। कार्यक्रम के अंत हास्य योग का भी अभ्यास कराया गया।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि प्राचीन समय से ही योग के माध्यम से विश्व गुरू रहा है, आज की युवा पीढी तकनीेकी युग में इसे भूलता रहा है जिससे वह कई बिमारियों से ग्रसित हो रहा है। आज के युवा पीढी को योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। भारतीय योग परम्परा में योग शारिरिक व मानसिक क्रियाओं से कहीं आगे आत्म, चित्त-वृत्ति से जुड़ी वो क्रियाएँ हैं जो आत्म व परमात्म से जुड़ाव के साथ-साथ मनुष्य व प्रकृति के श्रेष्ठतम सामंजस्य को प्रदर्शित करता है। योग में सदैव मानवीय मूल्यों और चारित्रिक उत्थान के भाव निहित होते हैं। गीता में मन के समभाव योगक्रम कौशल और कर्मयोग के रूप में योग को उल्लेखित किया गया है। मनोकायिक रोग जैसे मधुमय, सर्वाइकल, कब्ज, मनोरोग जैसे गंभीर रोग योगाभ्यास से दूर किये जा सकते है। मन की शांति के लिए योग महत्वपूर्ण है योग के माध्यम से हमें सकारात्मक विचार ग्रहण करते है जिससे शरीर में नवीन उर्जा का संचार होता है। योग के अभ्यास से शारीरिक, मानसिक एवं अध्यात्मिक स्वास्थ्य का लाभ हेाता है जो कि आज की भाग दौड़ की भरी जीवनशैली में अत्यंत आवश्यक है।
अध्यक्षता करते हुए प्रो. जॉनी ने युवा केडेट्स का आव्हान किया कि योग के माध्यम से आगे बढते हुए केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई अग्निपथ योजना के माध्यम से देश सेवा में आगे आये, मातृ भूमि की सेवा से बडा कोई काम नहीं हो सकता। पतंजलि ने योग सूत्र व योग क्रिया के जो आयाम दिए आज विश्व भर में फैल गए हैं।
विशिष्ठ अतिथि ले. कर्नल इन्द्रजीत सिंह घोषाल ने युवाओं का आव्हान किया कि वे अधिक से अधिक एनसीसी ग्रूप से जुडे और देश में जाने का यह अच्छा माध्यम है। इससे अनुशासन की भावना जागृत होती है। उन्होने कहा कि योग केवल आंतरिक पूर्णता ही नहीं अपितु पंच तत्वों के संतुलन की क्रिया भी है जिसके माध्यम से हम शारीरिक मानसिक संवेदनात्मक एवं प्राकृतिक संतुलन स्थापित करते हैं।
इस अवसर पर कैडेट वंदना व गगनदीप ने रिदमिक्स पेपर योग का भी प्रदर्शन किया। संचालन डॉ. हरीश चौबीसा, डॉ. इंदू आचार्य ने किया।
शिविर में स्पोट्स बोर्ड सचिव डॉ. भवानीपाल सिंह राठौड, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. अमी राठौड, डॉ. रचना राठौड, डॉ. युवराज सिंह राठौड, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. कुलशेखर व्यास, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर ने योग का अभ्यास किया।

By Udaipurviews

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