महाराणा प्रताप कि 482वी जयंती पर अंतर्राष्ट्रीय ख्यातनाम इतिहासकार प्रो इरफान हबीब के व्याख्यान को  सुनने  पूरे विश्व से इतिहासकार जुड़े

ऐतिहासिक महापुरुष सार्वभौमिक ओर सर्वकालिक होते है,इसीलिए प्रताप मानवीय मूल्यों  के प्रतिपालक होने से ही पूज्य है :- प्रो इरफान हबीब

प्रताप ने अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित मूल्यों की स्थापना ओर उनकी रक्षा के लिए जो संघर्ष किया ,इस दृष्टि से प्रताप एक महानायक आज भी प्रासंगिक है;- प्रो इरफान हबीब

ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के तत्वावधान मे महाराणा प्रताप की 482 वी जयंती के उपलक्ष्य में विषय “” अंध राष्ट्रवाद व वैश्विक परिदृश्य में युग पुरुष महाराणा प्रताप के सार्वभौमिक मूल्यों का निहीतार्थ”” पर आज ऑनलाइन व्याख्यान आयोजीत की गई।

आयोजन सचिव,ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक महासचिव डॉ आजात शत्रु सिंह शिवरती ने बताया कि विषय प्रवर्तन वरिष्ठ इतिहासकार प्रो जी एल मेनारिया ने किया महाराणा प्रताप  16 वी शताब्दी मे में ऐसे युग पुरुष थे,जिन्होंने भारतीय सांस्कृतिक,सनातन मूल्यों पर आधारित राष्ट्रीयता की रक्षा हेतु मुगलकालीन ,मध्यकालीन साम्राज्यवादी प्रवृति के विरुद्ध स्वाधीनता का संघर्ष किया,भले ही प्रताप का संगर्श मेवाड़ राज्य की स्वाधीनता से शुरू किया गया था, परंतु इसका प्रभाव तत्कालीन शासको ओर कालांतर मे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन  पर पड़ा।

 मुख्य अतिथि एवम् मुख्य वक्ता के रूप में बोलते अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वयोवृद्ध इतिहासकार व पूर्व विभागाध्यक्ष ,इतिहास विभाग ,अलीगढ़ विश्वविद्यालय के पद्मभूषण  प्रो इरफान हबीब ने  बताया कि महापुरुष सभी युगों ,सभी काल व स्थानों व जातियों में पैदा होते है।इस दृष्टि से महापुरुष सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों के प्रतिपालक होने से पूज्य है। वे किसी एक जाति,धर्म व देश स्थान के ऐतिहासिक नायक नहीं होकर राष्ट्र विशेष के सांस्कृतिक मूल्यों के सरंक्षक व संवाहक होते है।भारत मे राम,कृष्ण ,महावीर, बुद्ध,मध्य एशिया मे हज़रत मुहम्मद, ईसा, मूसा, चीन मे कन्फ्यूशियस, लाओत्से,आधुनिक काल मे पश्चिमी राष्ट्रों में लिंकन , मेजीनी,नेपोलियन,लेनिन, माओतसंग,भारत मे गांधी ,तिलक ,गोखले ,सुभाष इत्यादि इसी तरह16 वी सदी मे महाराणा प्रताप ऐसा युग पुरुष थे ,जिसने भारतीय सांस्कृतिक सनातन मूल्यों पर आधारित राष्ट्रीयता कि रक्षा हेतु मुगलकालीन,मध्यकालीन साम्राज्यवादी प्रवृत्ति के विरुद्ध भारतीय स्वाधीनता का संघर्ष किया।

अध्यक्षता “” पासपोर्ट मेन ऑफ़ इंडिया”” व  पूर्व विदेश सचिव,भारत सरकार एवम् सदस्य ,भारतीय मानवाधिकार एवम् प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार एवम् प्रसिद्ध पत्रकार,लेखक,कवि ओर प्रबुद्ध चिंतक डॉ ज्ञानेश्वर मुले ने अपने संदेश में कहा कि महाराणा प्रताप ने भारतीय राष्ट्रवाद की स्थापना हेतु जो संघर्ष किया, इस दृष्टि से मेवाड़ के महाराणा प्रताप ने भारतीय राष्ट्रवाद के सनातन मूल्यों की स्थापना के लिए अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित सार्वभौमिक नीतियों का अनुसरण किया ।अकबर का राष्ट्रवाद मुस्लिम था,तो प्रताप का राष्ट्रवाद सदियों से चला आ रहा वैदिक विधि अनुरूप भारतीय राष्ट्रवाद या।

विशिष्ट अतिथि भारत के ख्यातनम इतिहासकार एवम् पूर्व विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग जेएनयू विश्वविद्यालय डॉ दिलबाग सिंह ने बताया कि हमें वर्तमान कालीन धारणाओं,मान्यताओं व मूल्यों को अतीत पर नहीं थोपने चाहिए। वे इरफान की बात से सहमत थे ।

विशेष अतिथि वरिष्ठ इतिहासकार प्रो के एस गुप्ता व प्रो गिरीश नाथ माथुर थे।

व्याख्यान मे पूरे विश्व के इतिहासकरों ने हिस्सा लिया जिसमे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डॉ इयान हिली,ऑस्ट्रेलिया से रूपाबा जडेजा,नॉर्वे से टोर गुलब्रांडसेन्न,स्वीडन से अंजना सिंह,कनाडा से पराक्रम सिंह झला ,टोरंटो से धनांगदरा हिस हाईनेस,पाकिस्तान से डॉ  तनवीर ,नेपाल स डॉ कविता राणा , गुजरात से प्रो हरी देसाई ,दी प्रधुमन खच्चर,मध्य प्रदेश एस प्रो जे सी उपाध्याय,केरला से गॉडविन ,प्रो अमल, यूपी से डॉ गिर्राज किशोर शर्मा , आगरा से प्रो अनिल श्रीवास्तव,जम्मू से  जिगर मिगर,  साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ देव कोठरी, प्रो गिरीश नाथ माथुर,डॉ राजेंद्र नाथ पुरोहित, साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो जीवन सिंह खरकवाल,डॉ ईश्वर सिंह राणावत,डॉ हेमेंद्र चौधरी,प्रो दिग्विजय भटनागर,प्रो प्रतिभा,डॉ मनिष श्रीमाली ,डॉ पीयूष भद्विया,डॉ मेघना आदि कहीं इतिहासकरों ने भाग लिया।

व्याख्यान का सारांश वरिष्ठ पुरातत्वेत्ता एवम् इंटेक के अध्यक्ष  प्रो ललित पाण्डेय ने दिया

धन्यवाद वरिष्ठ इतिहासकार डॉ राजेंद्र नाथ पुरोहित ने दिया।

By Udaipurviews

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