– एक साल में बड़ी छलांग, रैंकिंग में 9 से 2 पर पहुंचा
-अब नजर नंबर 1 पर
डूंगरपुर, 7 मई । मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के अंतर्गत डूंगरपुर जिले ने राजस्थान में दूसरा स्थान प्राप्त कर बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन की ओर से हाल ही में जारी रैंकिंग में डूंगरपुर को 5815 अंक मिले हैं। एक साल पहले जिला नंबर 9 पर था, लेकिन अब यह सीधे प्रदेश में दूसरे स्थान पर आ पहुंचा है। जिले की इस उपलब्धि के पीछे जिला स्तरीय अधिकारियों की नियमित मॉनिटरिंग और योजनाबद्ध सुधार प्रयासों की अहम भूमिका रही है। जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी, पीएचसी और सब सेंटर तक दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। साथ ही मरीज की पर्ची की ऑनलाइन एंट्री 24 घंटे के भीतर दर्ज की जा रही है।
दवा उपलब्धता के नियम: : सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार वेयरहाउस में 849 प्रकार की दवाएं होनी चाहिए। जिला और उप जिला अस्पतालों में यह सभी दवाएं उपलब्ध करानी होती हैं, जबकि सीएचसी में 715, पीएचसी में 530 और सब सेंटर पर 115 प्रकार की दवाएं निःशुल्क मिलनी चाहिए।
कड़ी निगरानी और ऑनलाइन सिस्टम का लाभ: सीएमएचओ डॉ. अलंकार गुप्ता के अनुसार जिले के सभी 79 स्वास्थ्य संस्थानों में प्रतिदिन ओपीडी मरीजों की संख्या के अनुसार फॉर्मासिस्ट द्वारा दवाओं की पर्चियों की ऑनलाइन फीडिंग की जांच की जा रही है। फीडिंग के आधार पर ही वेयरहाउस से दवा आपूर्ति की जा रही है। फीडिंग में लापरवाही पाए जाने पर संबंधितों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है।
बाहरी दवा न लिखने के निर्देश: एडिशनल सीएमएचओ डॉ. विपिन मीणा ने बताया कि यदि किसी सरकारी अस्पताल में दवा उपलब्ध नहीं है और बाहर से मंगवाने को कहा जाता है, तो मरीज सीधे चिकित्सा अधिकारी या कार्यालय में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। सभी अस्पतालों में दवा सूची मौजूद है और फॉर्मासिस्ट के माध्यम से वितरण किया जा रहा है।
इन बिंदुओं पर बनती है रैंकिंग:
1. दवा की उपलब्धता और बफर स्टॉक
2. दवा वितरण खिड़की के खुलने के दिन
3. पहली पर्ची जमा होने का समय
4. औसतन रोज दी गई दवाओं की संख्या
5. “नोट अवेलेबल” वाली पर्चियों की संख्या
6. दवा की सालभर की मांग और उपलब्धता
पहला स्थान पाने का लक्ष्य: पिछले वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं की गिरती स्थिति के कारण जिले की रैंकिंग प्रभावित हुई थी। अब प्रत्येक संस्थान में कंप्यूटर ऑपरेटर और फॉर्मासिस्ट की नियुक्ति से कार्यप्रणाली में सुधार आया है। चिकित्सा व्यवस्थाओं में लगातार सुधार किया जा रहा है और जल्द ही पहला स्थान प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।