संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों का विदाई समारोह
उदयपुर 21 जुलाई/ जीवन में संगीत नहीं तो कुछ नहीं, जीवन में संगीत को अपने जीवन का हिस्सा बनाये। सुख हो या दुख दोनो में ही संगीत का अपना बहुत बड़ा महत्व है। संगीत के बिना जीवन अधुरा है। संगीत के माध्यम से बिना दवा के गंभीर रोगों का उपचार संभव है। उक्त विचार राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टु बी विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ म्युजिक के विद्यार्थियों की ओर से आयोजित विदाई समारोह में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में कही। उन्होने कहा कि सिर दर्द, अनिद्रा, साइनस रोग होने पर भैरव राग ‘‘ किसी नजर को तेरा इंतजार, ये गलिया ये चौबारा , रक्तचाप में भूपाली राग ‘‘पंख होते तो उड़ आती रे, देखा एक ख्वाब तो ये … ’’ , हद्धय रोग, उच्च रक्तचाप में दरबारी राग ’’ झनक झनक तोरी पायल बाजे ,,,, ’’ , याददाश्त में शिवरंजकी, बेक पेन में रोहिनी राग गाने से रोग से मुक्ति पाई जा सकती है। नवीन सत्र में विद्यापीठ स्तर पर संगीत महोत्सव को कराने की घोषणा की गई जिसमें संगीत प्रेमी अपने हुनर को प्रस्तुत कर सकेगे।
समारोह में संगीत विद्यार्थियों ने राजस्थानी, पंजाबी एवं गुजराती गानों की प्रस्तुति, प्रो. सारंगदेवोत ने तुम क्यो इतना मुस्करा रहे हो ….. गाना गा कर उपस्थित संगीतप्रेमियों को मंत्रमूग्ध कर दिया। प्रारंभ में प्रभारी डॉ. हरि हितेष गंधर्व ने समारोह की जानकारी देते हुए वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। संचालन डॉ. सुनिता सिंह, डॉ. कुलदीप चतुर्वेदी ने किया जबकि आभार डॉ. धमेन्द्र राजौरा ने दिया। समारोह में कुलपति प्रो. सारंगदेवोत को एक्सीलेंस अवार्ड मिलने पर कार्यकर्ताओं की ओर से माला, उपरणा एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समारोह में सायंकालीन डीन डॉ. एसबी नागर, डॉ. शिवंगी भटट्, भगवतील लाल सोनी, आशीष नन्दवाना, आरीफ, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, डॉ. विनस व्यास, बलिराम यादव, डॉ. कीर्ति दशोरा, इन्द्रलाल लौहार, सहित विद्यार्थी उपस्थित थे। समारोह में सभी विद्यार्थियों का प्रो. सारंगदेवोत ने उपरणा एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया।