काशी शिवपुरी आश्रम में परमहंस राजयोगी प्रभु बा के सान्निध्य में आध्यात्मिक सत्संग समागम

महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज ने दिया प्रवचन,
कहा – दैवीय और दिव्य आभामण्डित शिवपुरी आश्रम असीम आत्म आनन्द का संवाहक,
लालीवाव में आयोजित विराट धार्मिक महोत्सव का दिया निमंत्रण,

बांसवाड़ा, 01 अक्टूबर/काशी शिवपुरी आश्रम इन्टाली खेड़ा में सोमवार रात परमहंस स्वामी सुगन्धेश्वरानन्द राजयोगी प्रभु बा एवं ऐतिहासिक लालीवाव मठ, बांसवाड़ा के पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज के सान्निध्य में आध्यात्मिक सत्संग समागम में श्रृद्धालुओं ने हिस्सा लिया और भगवद्भक्ति का ज्वार उमड़ा दिया।
इस अवसर पर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज ने लालीवाव मठ में आगामी 20 से 27 नवम्बर तक आयोजित विराट धार्मिक महोत्सव का निमंत्रण परमहंस स्वामी सुगन्धेश्वरानन्द राजयोगी प्रभु बा को दिया और इसमें पधारने का आग्रह किया।

अद्वितीय और अलौकिक सिद्ध धाम
लालीवाव पीठाधीश्वर श्रीमहंत हरिओमदास जी महाराज ने अपने उद्बोधन में आश्रम के दैवीय और दिव्य आभामण्डल से अभिभूत होते हुए कहा कि आश्रम का नित्यकर्म, अनुशासन, गुरुभक्ति से आप्लावित वातावरण असीम आनन्द, पुण्यार्जन और आत्मशान्ति का केन्द्र है। साक्षात तीर्थ स्थल के रूप में यह समूचा परिक्षेत्र देश-दुनिया में विख्यात होने के साथ ही धर्म-अध्यात्म के संवहन का राष्ट्रीय सिद्ध पीठ है।

परमार्थ के अधीन है आनन्द
महाण्डलेश्वर ने तीर्थ महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जहां संतों का निवास, मंत्र जप, गौशाला और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन’ की भावना से सेवा कार्य होता है, वही स्थान तीर्थ है और शिवपुरी आश्रम इसका जीता जागता उदाहरण है। श्रीमहंत ने कहा कि आनन्द पदार्थ के अधीन नहीं बल्कि परमार्थ के अधीन होता है।

दी महोत्सव की विस्तृत जानकारी
महोत्सव आयोजन समिति के संयोजक पं. भुवन मुकुन्द पण्ड्या, उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश भट्ट सहित पदाधिकारियों विनोद जोशी, धर्मेन्द्र पंचाल, विमल भट्ट, मनोहर जोशी आदि ने विराट धार्मिक महोत्सव के बारे में विस्तार से परिचित कराया और कहा कि अपनी तरह का ऐसा आयोजन बांसवाड़ा में पहली बार होने जा रहा है जिसमें अन्य कई महत्त्वपूर्ण अनुष्ठानों के साथ ही भागवत का 108 पारायण देश के विभिन्न हिस्सों से आए संस्कृत एवं वेद विद्वानों द्वारा किया जाएगा।
लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर तथा लालीवाव मठ के साधकों एवं महोत्सव आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने प्रभु बा तथा स्वामी दादा हृदयानन्द का पुष्पहार, श्रीफल एवं शॉल से स्वागत अभिनन्दन किया।

पीठाधीश्वर का भव्य स्वागत एवं पादुका पूजन
आश्रम परिसर पहुंचने पर लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज का प्रवेश द्वार पर भव्य स्वागत किया गया तथा इसके बाद गुरुवन्दना एवं पादुकापूजन मंत्रों के साथ पादुका पूजन साधक अरुण उपाध्याय ने किया।
वैदिक स्वस्तिवाचन एवं मंत्रोच्चारण एवं पं. दिलीप पण्ड्या एवं सुरेन्द्र आचार्य ने किया जबकि श्रीमहंत का स्वागत आश्रम के साधक-साधिकाओं डॉ. मधु उपाध्याय, स्वामी सुमना दीदी, बबिता दीदी, गौरी दीदी, पूजा दवे, ऋषि दादा, साधना दीदी, महेश भाई, वन्दना दीदी, योगेश पाण्डे, सुजीत दुसाने आदि ने स्वागत किया।
शिवपुरी आश्रम के स्वामी दादा हृदयानन्द ने परमहंस स्वामी सुगन्धेश्वरानन्द राजयोगी प्रभु बा का जीवन परिचय प्रस्तुत करते हुए साधना, प्रेरणा और आध्यात्मिक प्रकल्पों के बारे में जानकारी दी।
स्वामी गुरु राजेश्वरानन्द ने स्वागत उद्बोधन दिया और आश्रम की मंत्र दीक्षा एवं अन्य साधनाओं, परम्पराओं, गतिविधियों, धर्म अध्यात्म के संरक्षण-संवर्धन के लिए किए जा रहे प्रयासों पर विस्तार से बताया।

भजन लहरियों ने दिया आनंद
इस दौरान् आध्यात्मिक आनन्द लहरियों से भरपूर सुमधुर भजन-सत्संग के दौरान् भजन गायक चन्दना एवं रमण भाई ने बेहतरीन भजनों की प्रस्तुति दी। इनके साथ ढोलक पर संगत अरुण उपाध्याय ने की।

दैवीय धामों का अवलोकन
इससे पूर्व लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज ने आश्रम में प्रतिष्ठित दत्तात्रैय, वामनेश्वर महादेव, गुप्तेश्वर महादेव, द्वादश ज्योतिर्लिंग, हरसिद्धि अम्बाजी, राधा-कृष्ण, विष्णु-लक्ष्मी, रामदरबार आदि के मन्दिरों में देवी-देवताओं के श्रीविग्रहों के पूजन-अर्चन व दर्शन किए तथा विट्ठल-रकुमाई, गुरुपीठ, यज्ञ मण्डप, गौशाला, अन्नपूर्णा, क्षितिज कक्ष, मातोश्री सभा हॉल, ब्रह्मपुरी, इन्द्रपुरी, अखण्ड मनोकामना ज्योति कलश, द्वारकापुरी आदि स्थलों और धार्मिक अनुष्ठानों का अवलोकन किया।

By Udaipurviews

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