उदयपुर, 3 जुलाई। पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर में वर्ष 2025-26 का सातवां त्रिदिवसीय आवासीय पशुपालक प्रशिक्षण शिविर का समापन हुआ। प्रशिक्षण में प्रतापगढ़, राजसमन्द, चित्तौड़गढ़ एवं भीलवाड़ा जिले के चयनित 30 पशुपालकों ने भाग लिया। प्रशिक्षण के समापन के अवसर पर संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने कहा कि वर्षा के मौसम में उगे विषैले पौधों से पशुपालक अपने पशुओं को अवश्य बचाएं। डॉ. छंगाणी ने बताया कि इस मौसम में हरे चारे के साथ विषैले पौधे उग जाते है जिनकों खाने से पशुओं में पॉईजनिंग हो जाती हैं अतः इन विषैले पौधों की पहचान कर पशु चारे से इनको पृथक कर पशुओं को पॉईजनिंग से बचायें। बदलते हुये मौसम एवं वर्षा की स्थिति को देखते हुये अपने पशुओं की विशेष देखभाल करनी चाहिये। डॉ. छंगाणी के अनुसार इस मौसम में पशुओं के हरा चारा अधिक खाने से या खरपतवार के साथ कई जहरीले पौधे उगने से वो पशु के खाने में आने से पशुओं में आफरा, अपच, दस्त, पेचिस जैसे रोग होने की संभावना रहती है। पशुपालकों को चाहिए कि हरे चारे के साथ सुखा चारा भी पशुओं को अवश्य खिलायें। संस्थान के वरिष्ठ प्रशिक्षण अधिकारी डॉ. पदमा मील ने कहा कि मानसून में मक्खी, मच्छर एवं कीड़े मकोड़ों का प्रकोप बढ़ जाता है जिससे डरमेटाईटिस एवं रक्त परजिवी रोग पशुओं में होने की संभावना बढ़ जाती है। पशुओं को मक्खी, मच्छरों से बचाये रखने के लिए पशु आवास कों सूखा एवं साफ-सूथरा रखें। इस मौसम में पशुओं को साफ- सूथरा पानी उपलब्ध कराने के साथ- साथ इम्यूनिटी बूस्टर एवं 30 ग्राम नमक खाने में मिलाकर देवें। संस्थान के वरिष्ठ प्रशिक्षण अधिकारी डॉ. ओमप्रकाश साहू ने बताया कि पशुओं को गीली जगह पर बंधे रहने से फूटरोग होने की संभावना बढ़ जाती है अतः समय समय पर फीनायल अथवा डिटॉल का पौछा लगवातें रहें। इस मौसम में पशुओं को बिजली के खंभों से भी नही बांधना चाहिये अन्यथा पशु हानि होने का खतरा बना रहता है। प्रशिक्षण में डॉ. हंस कुमार जैन, डॉ. लज्जराम मीणा, डॉ. सुरेन्द्र छगाणी, डॉ. केदार वैष्णव, डॉ. पदमा मील, डॉ. ओमप्रकाश साहू, स्वप्निल भावसार, चन्द्रशेखर गुर्जर ने विभिन्न विषय वस्तुओं पर प्रशिक्षण दिया।
वर्षा के मौसम में पशुओं की विशेष देखभाल पर पशुपालकों को दिया प्रशिक्षण
