-सार्वभौमिक मानवीय मूल्य विषयक तीन दिवसीय एआईसीटीई स्वीकृत फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम का हुआ शुभारंभ
-शिक्षकों को मिला मानवीय मूल्यों पर चिंतन का अवसर
उदयपुर, 24 अप्रैल। तेजी से बदलते सामाजिक परिदृश्य और तकनीकी विकास के युग में शिक्षा केवल डिग्रियों तक सीमित न रहकर मूल्यों और संस्कारों से समृद्ध होनी चाहिए। इसी उद्देश्य को केंद्र में रखते हुए राजस्थान विद्यापीठ के प्रबंध अध्ययन संकाय, प्रतापनगर में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा स्वीकृत सार्वभौमिक मानवीय मूल्य विषयक तीन दिवसीय फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ हुआ।उद्घाटन सत्र में अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता और परंपराएं विश्व में अद्वितीय रही हैं, जहां जीवन के मूल्य परिवार और गुरुकुल जैसे संस्थानों से सहज रूप में प्राप्त होते थे। उन्होंने चिंता जताई कि संयुक्त परिवारों के विघटन के साथ ही इन मूल्यों में गिरावट आई है, जिससे आज का समाज दिशाहीन होता जा रहा है। उन्होंने इस प्रकार की कार्यशालाओं को आत्मचिंतन और सामाजिक पुनर्निर्माण का सशक्त माध्यम बताया।कार्यक्रम की विषय विशेषज्ञ, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय की डीन, फैकल्टी ऑफ ह्यूमन वैल्यूज़ एजुकेशन, डॉ. अलका स्वामी ने बताया कि एआईसीटीई देशभर में मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कार्यशालाओं का संचालन कर रही है। उन्होंने कहा कि तकनीकी दक्षता के साथ आत्म-संतुष्टि, सहज स्वीकृति, निरंतरता तथा सुख और समृद्धि जैसे विषयों को समझना और आत्मसात करना आज की शिक्षा का अहम भाग होना चाहिए।विषय विशेषज्ञ प्रो. बीके शर्मा ने भी मूल्यनिष्ठ जीवन के महत्व को रेखांकित किया।एआईसीटीई की ओर से कार्यक्रम पर्यवेक्षक व बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ ह्यूमन वैल्यूज़ एजुकेशन की सहायक डीन डॉ. सरोज लखावत ने मूल्य परक शिक्षा के औचित्य पर प्रकाश डाला।आयोजन समिति की अध्यक्ष डॉ. नीरू राठौड़ ने बताया कि इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में आत्म-अन्वेषण, प्रसन्नताऔर समृद्धि, परिवार-समाज-प्रकृति-अस्तित्व में सद्भाव, विश्वास और सम्मान जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी। एआईसीटीई ने सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाने का सराहनीय कार्य किया है।राजस्थान विद्यापीठ से संयोजक डॉ. चंद्रेश छतलानी ने बताया कि इस कार्यक्रम को पूर्णतः एआईसीटीई के दिशा-निर्देशों के अनुसार आयोजित किया जा रहा है तथा यह शिक्षकों को एक संवेदनशील एवं सशक्त समाज निर्माता के रूप में देखने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।प्रारंभ में डॉ. हिना खान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए परिचय प्रस्तुत किया।सत्र का संचालन समन्वयक डॉ. चंद्रेश छतलानी ने किया।
संस्कारों की पुनर्स्थापना से ही होगा सशक्त समाज का निर्माण: प्रो. सारंगदेवोत
