उदयपुर, 30 अगस्त। उदयपुर में लम्पी डिजीज से पशुओं की सुरक्षा एवं बचाव के लिए जिला प्रशासन के निर्देशन में पशुपालन विभाग मुस्तैदी से कार्य कर रहा है। उदयपुर संभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. भूपेन्द्र भारद्वाज ने तकनीकी कर्मचारी, पशु चिकित्सा सहायक एवं पशुधन सहायकों से आग्रह किया कि वर्तमान में संभाग में गौवंशीय पशुओं में फैल रही लम्पी स्किन डिजीज के समय में हमें कर्तव्य एवं दायित्वों का निर्वाह करते हुए निष्ठा, लगन एवं ईमानदारी से गौवंश में आई विपदा से छुटकारा दिलाकर पशुपालकों को राहत दिलाने का कार्य करना चाहिए।
उदयपुर संभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. भूपेन्द्र भारद्वाज ने डूंगरपुर जिले के दौरे के दौरान जिला कलक्टर एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क कर उन्हे डूंगरपुर जिले की यथास्थिति से अवगत कराते हुए इसे नियंत्रण करने के लिए कार्य योजना पर विस्तार से चर्चा की। जिला कलक्टर ने विभाग को प्रशासनिक स्तर पर हर संभव सहयोग करने की बात कही।
डॉ. भारद्वाज ने रेहाणा गांव मे रात्रि चौपाल मे ग्राम वासियों से कहा कि इस रोग पर नियंत्रण पाने का एकमात्र यही तरीका हैं कि रोगग्रस्त पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग कर पृथक्करण केन्द्र की स्थापना कर वहां रखा जाए एवं सम्पूर्ण संक्रमित क्षेत्र मे मक्खियों, मच्छरों, चिंचड़ो इत्यादि का उन्मूलन प्रभावी ढंग से किया जाये। ग्रामवासियों ने इस बात को स्वीकार कर रातों रात पृथक्करण केन्द्र की स्थापना कर रोगग्रस्त पशुओं को एकत्रित कर लिया। डॉ. भारद्वाज ने कहा कि इस तरह की पहल प्रत्येक संक्रमित गांव के पशुपालकों को करनी चाहिए। डॉ. भारद्वाज ने जोधपुर डेयरी के प्रबन्ध निदेशक से वार्ता कर डूंगरपुर जिले के लिए इस रोग के बचाव के लिए इस रोग के बचाव के टीके उपलब्ध करानें का निवेदन किया। डॉ. भारद्वाज ने समस्त संयुक्त निदेशकों को निर्देश दिए कि वे अपने जिले के सांकेतिक हड़ताल पर गये कर्मचारियों से वार्तालाप कर उन्हे अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का एहसास दिलाते हुए इस विकट घड़ी में गौवंश पशुओं की सेवा करने क लिए प्रेरित करें।
फतहसागर पाल पर जागरूकता कार्यक्रम
पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान की ओर से लम्पी डिजीज से सुरक्षा व बचाव के लिए फतहसागर पाल पर जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्थान के डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने बताया कि यह रोग पूर्ण रुप से गोवंश का ही है, पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता। पशुओं की सुरक्षार्थ वर्तमान में 50 हजार से भी अधिक गौवंशीय पशुओं को टीका लगाया जा चुका है। संस्थान के उपनिदेशक डॉ. लक्ष्मीनारायण ने बताया कि इस रोग से पशु के स्वस्थ होने की संभावना अत्यधिक है, थोड़ी सी सावधानी रखकर पशु को इस रोग से मुक्त रखा जा सकता है। डॉ. सुरेश शर्मा ने भी विचार रखे। पशुपालन डिप्लोमा के विद्यार्थियों ने भी इससे संबंधित लिफलेट वितरित कर आमजन को जागरूक किया।