उदयपुर, 20 जुलाई। पायड़ा स्थित पद्मप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में देवश्रमण आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज, मुनि अजयदेव व भट्टारक देवेंद्र विजय संघ के सानिध्य में बुधवार को सैकड़ों श्राकव-श्रविकाओं ने नित्य नियम पूजा, शांतिधारा, जलाभिषेक व सामायिक किया। प्रचार संयोजक संजय गुडलिया एवं दीपक चिबोडिया ने बताया कि श्रावकों द्वारा मूलनायक भगवान पद्मप्रभु का चंदन लेपन कर पंचामृत से महाअभिषेक किया गया।
इस दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज ने कहां तीर्थ के निर्माता तीर्थंकर होते है। सभी के जीवन में कोई न कोई समस्या मौजूद है। सबसे बड़ी समस्या जन्म मरण की है। ये समाप्त हो जाए तो कोई समस्या नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि जन्म-मरण की समस्या का समाधान निकालने के लिए तीर्थंकर धर्मतीर्थ की स्थापना करते है। जब तक समस्या का अंत नहीं होगा समस्याएं सामने आती रहेगी। जन्म-मरण की जड़ हरी रहेगी तो प्रॉब्लम के पत्ते लगते रहेंगे। धर्म तीर्थं की स्थापना करने वाले तीर्थंकर होते है। अपने जीवनकाल में एक तीर्थ अवश्य बनाने का संकल्प लेना चाहिए। परमात्मा जीवित तीर्थ बनाते है। कम से कम किसी एक को जिनशासन के साथ, नवकार मंत्र के साथ, परमात्मा के साथ जोड़ दो तुम्हारे द्वारा एक तीर्थं का निर्माण हो गया। यदि किसी को तीर्थ तुमने बनाया तो वह तीर्थ जन्म-जन्मांतर तक तुम्हारी मदद करेगा।