उदयपुर, 11 जून। पशु—पक्षी, कीट—पतंगे और खास प्रकार के पेड़ पौधों के व्यवहार से भी मानसून की भविष्यवाणी की जा सकती है। पर्यावरणीय विषयों के जानकार और जीव विज्ञानी भी ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों द्वारा पशु-पक्षियों, कीट-पतंगों और पेड़-पौधों के व्यवहार को देखकर बारिश के अनुमान को सटीक मानते हैं।
सेवा मंदिर उदयपुर के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. के.एस.गोपीसुंदर ने बताया कि बारिश के बारे में चींटी की गतिविधियों को देखकर सबसे पहले अंदाजा लगाया जा सकता है। डॉ. गोपीसुंदर बताते हैं कि चीटियां विभिन्न कारणों से भारी मात्रा में अपने समूह के साथ अंडे या लार्वा लेकर इधर—उधर जाती दिखाई देती है तो इसमें एक कारण यह भी माना जाता है कि वे अपने अंडों या लार्वा को गीली जगह से बचाने के लिए ऐसा करती है। इससे यह संभावना भी होती है कि मानसून जल्द ही आने वाला है। डॉ. गोपीसुंदर ने बताया कि इन दिनों देखा जा रहा है कि चीटियां अपने प्यूपा बनने की कगार पर आ रहे लार्वा को लेकर ऊपरी स्थानों पर जाती दिखाई दे रही हैं जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि बारिश जल्द ही आएगी और सामान्य से ज्यादा आएगी।
चित्रों में देखी जा रही चीटियां मादा चीटियां है जो प्यूपा बन रहे लार्वा तथा नर चींटी को दूसरे स्थान पर ले जाती हुई दिखाई दे रही हैं।
आटा नहीं खाती चींटियां :
डॉ. गोपीसुंदर ने बताया कि चींटियां कभी भी आटा नहीं खाती। लोग यदि किसी स्थान पर आटा डालते भी हैं तो वे उस स्थान को छोड़कर चली जाती है। उन्होंने बताया कि चित्र में बताई गई चींटियां ‘क्रेजी आंट’ प्रजाति की है और ये चींटियां घास के बीज, फल और कार्निवर्स खाती हैं। चूंकि फलों में मीठापन पाया जाता है इसलिए चीटियां चीनी को पसंद करती है जिसकी वजह से वे हमारे घरों में मीठे खाद्य पदार्थों पर देखी जाती है।