मानव जीवन को बचाने के लिए, पुनः अब जंगल की ओर लौटना होगा – प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर 05 जुन/ जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय की ओर से विश्व पर्यावरण दिवस पर स्कूल आॅफ एग्रीकल्चर साईंसेंस में पौधारोपण करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि पर्यावरण के संकट को ध्यान में रखते हुए आज आज जरूरत यह है कि पर्यावरण शिक्षा को स्कूलों और काॅलेजों में इस तरह समावेशित किया जाये कि पर्यावरण के प्रति समाज में एक अनुकूल रवैया तैयार हो सके। उन्होने कहा कि मानव जीवन को बचाने के लिए हमें पुनः अब जंगल की ओर लौटना होगा। उन्नीसवी और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में जब औद्योगीकरण और विकास का मतलब प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का अधिक से अधिक दोहन था, तभी इसके पुष्परिणाम भी सामने आने लगे थे, ये दुष्परिणाम इतने गंभीर थे कि उनको नजर अंजाद नहीं किया जा सकता था, विश्व मानवता ने एक हेाकर इस समस्या का सामना करने का प्रयास किया, संयुक्त राट्र संघ की पर्यावरण कार्यक्रम संगठन ने पर्यावरण की बिगडती हालत को गंभीरता से संज्ञान लेते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये, पर्यावरण शिक्षा पर समुचित बल इस दिशा में एक दूरगामी प्रयास था। उन्होने कहा था कि हमारी पृथ्वी हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए सक्षम है न कि लालच को, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने उनकी चितंाओ पर गौर नहीं किया।
प्रो. सारंगदेवोत कहा कि नयी शिक्षा नीति में पर्यावरण शिक्षा पर जोर देते हुए पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित मूल्यों को पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाने केा कहा गया, जिसकी शुरूआत बच्चो से होनी चाहिए , स्कूल और काॅलेजो में पठन पाठन की प्रक्रिया इस पर्यावरणीय चेतना से प्रभावित होनी चाहिए। इसलिए अब भी समय है और पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर डीन प्रो. गजेन्द्र माथुर, सौरभ सिंह, प्रो. जीएस आमेटा, प्रो. अरूणा परिहार, प्रो. एन.एस. सोलंकी, प्रो. एन.के. पंजाबी, राजेन्द्र सिंह शक्तावत, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, राजेन्द्र सिंह सारंगदेवोत, कान सिंह सहित कार्यकर्ताओं ने अपने अपने नाम से एक पौधा लगा उसके संरक्षण का संकल्प लिया।