नई शिक्षा नीति प्रगतिशील एवं महत्वकांशी दस्तावेज – प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर 27 मई / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक महाविद्यालय की ओर से शुक्रवार केा महाविद्यालय के सभागार में ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: क्रियान्वयन, संभावनाएॅ एवं चुनौतियॉ’’विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.एस. राठौड ने कहा कि एन.ई.पी. के क्रियान्वयन हेतु हमें गुणवकता व क्षमताओं को बढाना होगा। संतुलित शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करना होगा जिसमें टीचिंग व टेस्टिंग को शामिल करके परम्परागत शिक्षा व आधुनिकता के समिश्रण का आदर्श वातावरण बनाना होगा ताकि भारतीय ज्ञान और डिजिटल शिक्षा से युक्त युवा पीढी जो प्रोवाइडर बने ना कि जॉब सीकर। राठौड़ ने कहा कि शिक्षण के क्षेत्र में शिक्षण के साथ-साथ शिक्षा से वंचित बच्चों को पुनः शिक्षा से जोडने एवं बनाये रखने का प्रयास अति महत्तवपूर्ण सिद्ध होगा।
अध्यक्षता करते हुए एन.ई.पी. सलाहकार सदस्य और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय जानी ने कहा कि एन.ई.पी. ‘हाउ टु एप्लाई’ की आजादी प्रदान करता हैं। जो संस्थाओं की रचनात्मकताओं और क्रियात्मकता के माध्यम से विद्यार्थियों के प्रगति पथ को तैयार करवाती हैं। यह नीती बुनियादी शिक्षा वैज्ञानिक मनोवृति और भारतीय भाषाओं के सहज उपयोग के समावेश से अभारतीय सोच को भारतीय सोच से सहमति सेतु बनाने का कार्य करती हैं।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि ज्ञान मर्मज्ञ पीढी और गौरवपूर्ण इतिहास की आभा से युक्त विश्व गुरू कहलाने वाले भारत वर्ष की ज्ञान की आधारशीला नालंदा एवं तक्षशीला जैसा विश्वविद्यालय थे। भारत राष्ट्र को सुनहरे अतीत और अत्याधुनिक तकनीकी कौशल, गुणवता और वहनीयता के नये स्वरूप को गढने का काम करेगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 । यह नीति भारत सरकार का ऐसा प्रगतिशील एवं महत्वकांशी दस्तावेज हैं जो नवाचारों के उपयोग से न केवल विद्यार्थियों में निहीत अद्वितीय क्षमताओं को विस्फुटित करेगा अपितु शिक्षकों को भी 21 वीं सदी के ज्ञान कौशलों से युक्त करके परिवर्जित करेगा। उन्हाने कहा कि पुरानी शिक्षा नीतियों की सीमाओं और 34 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद आयी यह शिक्षा नीति वोकेशनल, प्रोफेशनल कोर्स के साथ- साथ रिसर्च एवं कल्चरल हार्मनी पर आधारित हैं जो राष्ट्र के आर्थिक और औद्योगिक विकास के साथ-साथ सामाजिक -आर्थिक उत्थान को भी पोषित करेगी। इन सभी सकारात्मक पक्षों के क्रियान्वयन में जहॉ चुनौतियॉं भी हैं तो साथ उनके सम्भावित फलों के माध्यम से फलिभूत होने की सम्भावनाएॅ भी हैं।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. कैलाश सोडानी पूर्व कुलपति एम.डी.एस. विश्वविद्यालय ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति में उस देश के शिक्षा तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण योगदान होता हैं। तकनीकि परिवर्तनों के साथ युवा पीढी को तैयार करना तथा परिवर्तन के साथ सामंजस्य बिठाने में शिक्षा नीतियों का अहम स्थान हैं । एन.ई.पी. 2020 में मात्र भाषा शिक्षण वो महत्वपूर्ण बिन्दू हैं जो हमारी वर्तमान पीढी को भाषा के चक्रव्यू तथा अंग्रेजी मानसिकता से बाहर निकालने में मील का पत्थर साबित होगी।
महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने बताया कि संगोष्ठी में मुख्य विषय के साथ 5 उपविषय पर आधारित अलग-अलग सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें थीम आाधारित पेपर प्रजेंट किये गये तथा शिक्षाविदों एवं प्रतिभागियों में विषय आाधारित विचाार मंथन किया । इस मौके पर डॉ. पल्लव पांडे एवं डॉ. अमित दवे के सम्पादन में तैयार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 क्रियान्वयन, सम्भावनाएॅ, और चुनौतियो पर स्मारिका का भी विमोचन किया गया जिसमें विषय सम्बंधी पत्रों और आलेखो को शामिल किया गया।
संगोष्ठी में भाग लेने वाले शिक्षाविदों और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये गये। संगोष्ठी समन्वयक डॉ. रचना राठौड़ ने संगोष्ठी में प्रस्तुत 75 पेपरर्स की अनुशंसाए सदन में प्रस्तुत की । डॉ. बलिदान जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया । इस अवसर पर श्री सुभाष बोहरा, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. सुनीता मुर्डिया, डॉ. हरीश मेनारिया, डॉ. हिम्म्मत सिंह, डॉ. अनिता कोठारी, डॉ. रोहित कुमावत, डॉ. सरिता मेनारिया आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पुनीत पण्ड्या और हरीश चौबीसा ने किया ।
समारेाह में अतिथियों द्वारा ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: क्रियान्वयन, संभावनाएॅ एवं चुनौतियॉ’’विषय पर तैयार की गई पुस्तक का विमोचन किया गया।