उदयपुरः पारस हेल्थ उदयपुर ने 31 साल के एक युवक के दोनों हिप बचाने के लिए स्टेम सेल पर आधारित एक आधुनिक ऑर्थो-बायोलॉजिक्स इलाज सफलतापूर्वक किया। यह मरीज दोनों हिप्स में आडियोपेथिक एवैस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) से पीड़ित था। इस जटिल केस का नेतृत्व डॉ. राहुल खन्ना ने किया। डॉ खन्ना ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में जॉइंट प्रिज़र्वेशन सर्जरी, आर्थोस्कोपी और स्पोर्ट्स मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट हैं। यह केस पारस हॉस्पिटल की रीजनरेटिव ऑर्थोपेडिक इलाज में बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।
एमआरआई जांच में मरीज को दाहिनी हिप में एआरसीओ स्टेज 2A और बाईं हिप में स्टेज 3A की एवैस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) का पता चला। मरीज ने कई जगह इलाज करवाया लेकिन कोई खास राहत नहीं मिली। मरीज की उम्र और बीमारी की गंभीरता को देखते हुए डॉ. खन्ना ने स्टेम सेल आधारित दो स्टेज में होने वाली हिप प्रिज़र्वेशन प्रक्रिया की सलाह दी। इसमें दोनों हिप की कोर डिकंप्रेशन सर्जरी की गई और फाइब्रिन ग्लू में मिलाए गए कल्चर किए गए ऑस्टियोब्लास्ट्स लगाए गए। ये ऑस्टियोब्लास्ट्स मरीज की खुद की बोन मैरो से लिए गए, फिर उन्हें अलग कर PCR तकनीक से बढ़ाया गया ताकि हिप जॉइंट के वेट-बेयरिंग हिस्से में मौजूद खराब हड्डी का इलाज किया जा सके।
डॉ राहुल खन्ना ने बताया, “AVN एक गंभीर बीमारी है। अगर समय पर इलाज न हो तो पूरा जोड़ खराब हो सकता है और हिप रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है। इस केस में हमने कोर डिकंप्रेशन सर्जरी और ऑसग्रो नामक आधुनिक स्टेम सेल तकनीक का इस्तेमाल किया। यह तरीका न केवल खराब हड्डी को हटाता है, बल्कि शरीर को खुद की स्टेम सेल से नई और स्वस्थ हड्डी बनाने में भी मदद करता है। यह प्राकृतिक हिप जॉइंट्स को बचाने और मरीज को लंबे समय तक चलने-फिरने में काबिल रखने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।”
इस केस के सफल इलाज ने यह दिखा दिया कि पारस हेल्थ उदयपुर एडवांस्ड और मरीज-केन्द्रित ऑर्थोपेडिक केयर के लिए पूरी तरह समर्पित है। साथ ही यह हॉस्पिटल को कम चीरा लगाने वाली और बायोलॉजिकल तकनीकों से हड्डी-जोड़ों के इलाज में एक प्रमुख नाम के रूप में स्थापित करता है।